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लेखनी कहानी -09-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 33



हंशित ने हिमानी की तरफ देखा और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोला " हिमानी जो मैं बताने जा रहा हूँ उसे सुनने के बाद तुम भी मुझे गुनेहगार समझो गी लेकिन हिमानी मुझे छोड़ कर मत जाना वरना मैं मर जाऊंगा "


हिमानी ने उसकी तरफ देखा और कहा " हंशित जो भी बात दिल में हे बतादो यूं इस तरह दिल में बातें रखने से अपने आप को ही तकलीफ होती हे "


हंशित ने अपने आंसू साफ किए और बोला " उस रात जब पापा ने मुझे थप्पड़ मारा और मेरे प्रोफेशन को बुरा भला कहा तब मैं उनसे लड़ झगड़ कर गुस्से में सब के रोकने के बावज़ूद, उस रात जब मूसलाधार बारिश हो रही थी मैं गुस्से में अपनी गाड़ी लेकर निकला उस रात भी बिजली चमक रही थी, मैं इतने गुस्से में था की मुझे पता ही नही चल रहा था की मेरी गाड़ी की स्पीड बहुत ज़्यादा हे और बाहर बारिश हो रही हे ।


तभी अचानक मेरी गाड़ी एक जगह टकराई मैने ब्रेक लगाने की कोशिश की किन्तु गाड़ी की स्पीड इतनी थी की रुकते रुकते भी वो सडक पर रखी किसी चीज़ से टकराई मैं घबरा गया मैं डरते डरते नीचे उतरा और गाड़ी के आगे जाकर देखा तो एक लड़की जिसके सर से खून निकल रहा था मेरी गाड़ी से टकरा गयी।


मैं डर गया, मैं वहा से भागा नही उस लड़की की सांसे चल रही थी उसे अस्पताल ले आया मेरा सर फट गया था लेकिन मुझे उसकी कोई परवाह नही थी। उसका खून बहुत ज़्यादा बह चुका था मैं उसे अस्पताल में भर्ती कराकर पुलिस स्टेशन चला गया अपना गुनाह कबूल करने।


लेकिन मेरे बाप की वजह से उन लोगो ने कोई रिपोर्ट दर्ज नही की पहले मेरे पिता को बुलाया।

हम लोग अस्पताल पहुचे सब लोग वहा मौजूद थे। उस लड़की की हालत बेहद नाजुक थी । उस लड़की के बूढ़े माँ बाप भी वहा आ चुके थे वो लड़की एक कॉल सेंटर में काम करती थी। वो अपने बूढ़े माँ बाप का सहारा थी । जो उस समय मेरी बेवकूफी की वजह से ज़िन्दगी और मौत के बीच जंग लड़ रही थी।

बस एक ही रास्ता था मेरे पास और मैं उस रास्ते पर चल दिया, मैं उस अस्पताल में बने मंदिर में गया और मैने गिड़गिड़ा कर उनके सामने उस लड़की की जान बचाने की प्रार्थना की, बहुत रोया लेकिन उन्होंने मेरी एक नही सुनी और थोड़ी देर बाद मुझे पता चला की वो लड़की मर गयी, मैं कातिल बन गया था, मेरा उस दिन भगवान पर से भरोसा उठ गया की आखिर वो कैसे एक बेगुनाह की जान ले सकते है।


मैं गुनेहगार था मुझे मरना चाहिए था, उस लड़की का क्या कसूर था वो तो अपने बूढ़े माँ बाप का आखिरी सहारा थी जिसे मैने मार दिया था।


मैं गुनेहगार था मुझे सजा मिलनी चाहिए थी लेकिन मेरे बाप ने पैसे के दम पर अपना नाम मिट्टी में ना मिलने के डर से उन बूढ़े माँ बाप का ज़मीर खरीद लिया, उनसे उस केस की फ़ाइल बंद करा दी और उन्हें शहर से दूसरी जगह भेज दिया।


मैं चीखता रहा मैं गुनेहगार हूँ, कातिल हूँ एक बेगुनाह का मुझे सजा दो, लेकिन जब कोई FIR नही , फ़ाइल ही बंद हो गयी तो सजा कैसी।

उस दिन मेरा भगवान पर से दोबारा भरोसा उठ गया की आखिर वो जुल्म करने वालो और पैसे की ताकत दिखाने वालो के साथ कुछ बुरा क्यू नही करता है, हमेशा गरीब, लाचार ही दुख और परेशानी का शिकार क्यू होता है आखिर क्यू मेरे बाप को उसने सजा नही दी, मुझे कोई सजा क्यू नही दी। आज भी वो रात मेरे ज़हन में घूमती है वो लड़की और उसके बूढ़े माता पिता मेरे सपने में आते है, मुझे दो साल तक नींद नही आती थी। बारिश होते ही मुझे वो मंज़र याद आ जाता था। हिमानी तुम बताओ मैं क्या करू मुझे मौत भी नही आती ताकि मर जाऊ तो इस दर्द से आराम मिल जाए।




हंशित रोने लगा ये सब बता कर। हिमानी ने उसके आंसू अपने हाथ से साफ किए और बोली " हंशित तुम्हारा दिल एक दम शीशे की तरह साफ है, तुम जैसे साफ दिल के लोग अब कम ही है इस दुनियां में।

हंशित जो कुछ भी उस रात हुआ वो एक हादसा था, जो किसी के साथ भी हो सकता था। तुमने वो सब जान बूझ कर नही किया था माना की तुम गुनेहगार थे तुमने अपनी गलती मान ली। वरना आज कल तो लोग रास्ते में मरने के लिए छोड़ कर भाग जाते है।


हंशित ज़िन्दगी और मौत ईश्वर के हाथ में है तुमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की उस लड़की को बचाने की शायद उसके भाग्य में ऐसे ही मरना लिखा था। और रही बात बुरो के साथ बुरा होने की बात तो ईश्वर सब देख रहा है ये कलयुग है यहाँ पापी को अपने कर्मो की सजा जरूर मिलेगी एक ना एक दिन। तुम इस तरह ईश्वर से नाराज़ ना हो देखना एक दिन सब सही हो जाएगा "


हंशित ने हिमानी का हाथ कसके पकड़ा और बोला " हिमानी मुझे छोड़ कर तो नही जाओगी मैं बहुत अकेला हूँ, मुझे तुम्हारे साथ की ज़रुरत है, तुम अगर मेरे साथ होगी तो मैं हर परेशानी से लड़ लूँगा, हिमानी कह दो की तुम भी मुझसे उतना ही प्यार करती हो जितना की मैं "


हिमानी ने हंशित की आँखों में देखा और बोली " हंशित ये गलत है "

"क्या गलत है हिमानी प्रेम कबसे गलत होने लगा " हंशित ने कहा

"प्रेम नही मैं तुम्हारे और मेरे बीच प्रेम की बात कर रही हूँ, हंशित मेरी शादी होने वाली है, मेरे पिता ने मेरी शादी के लिए सारी तैयारियां कर ली है वो बहुत खुश है " हिमानी ने कहा

"क्या तुम खुश हो, क्या तुम भी उस लड़के से शादी करना चाहती हो, तुम्हारी ख़ुशी किस्मे है " हंशित ने कहा


"मेरी ख़ुशी मेरे माता पिता के आत्म सम्मान में है " हिमानी ने कहा


"तो क्या तुम अपने माता पिता के आत्म सम्मान के कारण एक ऐसे रिश्ते में बन जाओगी और ऐसे शख्स के हाथो अपने आप को सोप दोगी जिसे तुम पसंद भी नही करती हो, क्यू हिमानी क्यू क्या तुम्हारी कोई अपनी फीलिंग्स नही है , आखिर कैसे तुम सिर्फ और सिर्फ दूसरों की ख़ुशी के खातिर अपने प्यार, जज़्बात, खुशियों सब की क़ुरबानी दे सकती हो।


हिमानी एक बार कह कर देखो मुझसे  मैं वायदा करता हूँ, दुनियां से भी अगर लड़ना पड़ा तुम्हारे खातिर  तो मैं सोचूंगा नही लड़ जाऊंगा। " हंशित ने कहा


वही दूसरी तरफ  उसके दोस्त रूम पर पहुंच गए थे  लेकिन वो दोनों वहाँ नही आये थे । उन्होंने फ़ोन भी किया उन लोगो को किन्तु बंद जा रहा था ।


वैशाली जी भी परेशान थी क्यूंकि बारिश बहुत तेज़ हो रही थी और रात के 11 बज चुके थै लेकिन हिमानी की कोई खबर नही थी ।

भव्या हिमानी का फ़ोन लगा रही थी लेकिन वो भी बंद जा रहा था । सब बेहद परेशान थे । तब ही दरवाज़े पर घंटी बजती है । वैशाली जी खुश हो जाती है  और जाकर दरवाज़ा खोलती है लेकिन दरवाज़े पर श्रुति और उसके दोस्त खड़े थे।


वो अंदर आकर रोते हुए सब कुछ सच बता देते है  की वो लोग जंगल में गए थे  लेकिन वो पीछे रह गए और वो दोनों आगे चले गए । और फिर ना जाने दोनों कहा गायब हो गए ।


हे! भगवान मेरी बच्ची की रक्षा करना कही उसे कुछ हो ना जाए, वैशाली जी ने कहा और वो सब बारिश रुकने का इंतज़ार करने लगे ताकि बाहर जाकर ढूंढा जा सके ।


हिमानी जो की सोच के भावसागर में डूब चुकी थी एक तरफ उसका प्यार था तो वही दूसरी तरफ  उसके माता पिता की इज़्ज़त उसके दिमाग़ में ना जाने कैसे विचार आ रहे थे । इन सब के बावज़ूद वो किसी पर पहुँचती और हंशित को अपने दिल की बात बताती तब ही हंशित जोर से चीखा ।

"क्या हुआ हंशित तुम ठीक तो हो " हिमानी ने पूछा 

मुझे लगता हे  किसी चीज ने काटा हे मुझे मेरे पैर में ये कह कर हंशित अपना जूता उतार कर अपनी पैंट ऊपर सरकाता हे  और देख कर घबरा जाता हे , उसके पैर पर दो निशान थे जैसे की साप ने काटा हो और तभी अचानक एक रेंगता हुआ साप वहा से भागा ।

नही नही ये क्या हो गया मेरे साप ने काट लिया हंशित ने कहा घबरा कर।


हिमानी उसकी हिम्मत बांधते हुए बोली " तुम्हे कुछ नही होगा मैं हूँ ना उसने उसके जूते का फीता निकाला और उसके पैर पर बांध दिया ताकि ज़हर ऊपर तक ना जा पाए  और बोली हिलना मत ज्यादा, वो साप ज्यादा जेहरीला नही हे  मैं अभी कुछ जड़ी बूटिया लाती हूँ ये कह कर हिमानी उठने लगी ।


हिमानी मुझे छोड़ कर मत जाओ, मुझे नही पता की मैं बचूंगा की नही, प्लीज् मुझे छोड़ कर मत जाओ हंशित ने कहा


"तुम्हे कुछ नही होगा मैं बचा लूंगी तुमको मेरा वादा हे  " हिमानी ने कहा

हिमानी एक बार कह दो की तुम भी मुझसे प्यार करती हो अगर मैं मर गया  तो कम से कम सुकून तो मिल जाएगा मेरे इस दिल को की जिससे मैने प्यार किया था वो भी मुझसे प्यार करती थी , मेरा प्यार एक तरफ़ा नही था. देखो मुझे कुछ हो रहा हे  हंशित ने कहा


"तुम्हे कुछ नही होगा मैं बचा लूंगी तुमको, जिस तरह सावित्री ने अपने पति के प्राण बचाये थे यमराज से लड़कर मैं भी बचा लूंगी  " हिमानी ने कहा

." लेकिन क्यू आखिर क्यू तुम मेरे प्राण बचाना चाहती हो, सावित्री का तो वो पति था तुम किस हक़  से मेरे प्राण बचाना चाहती हो, बताओ जवाब दो मुझे आखिर क्यू मुझे बचाना चाहती हो " हंशित ने पूछा

"हाँ, हाँ प्यार करती हूँ तुमसे, मुझे भी तुम्हारा साथ अच्छा लगता हे . मैं भी तुम्हारे ख्यालों में खोयी रहती हूँ तुम साथ होते हो तो खुद को मेहफ़ूज़ समझती हूँ, नही होते हो तो तुम्हारे ख्यालों में ही खोयी रहती हू , अब सुन लिया की किस हक़ से तुम्हे बचाना चाहती हूँ तुम्हारा प्यार एक तरफा नही हे  मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ अब एक लफ्ज़ ना कहना और तुम्हे कुछ नही होगा मैं तुमको बचा लूंगी  " हिमानी ने आँखों में आंसू लाकर कहा 


हंशित ने जब ये सुना तो उसका चेहरा ख़ुशी से खिल उठा और वो रोते हुए बोला " अब अगर मौत भी आ जाए तो कोई डर नही, अब मैं चेन से मर सकता हूँ "

"क्या मेरे दिल में मोहब्बत का एहसास जगा कर मुझे मोहब्बत के इस सफऱ मे अकेला छोड़ कर जाओगे अभी तो बहुत बड़ी बड़ी बातें कर रहे थे की कभी मुझे छोड़ कर नही जाओगे " हिमानी कुछ और कहती  तब ही हंशित बोल पड़ा  " कौन कम्बख्त मरना चाहता हे  आप  जैसा हमसफऱ साथ हो तो सात जन्म भी कम हे  लेकिन ये साप ने जो काट लिया अब बच पाना मुश्किल हे  लेकिन साप के काटने के बहाने ही सही  आपके जज़्बात जुबान पर आ ही गए  अब बस चेन से मर सकूँगा  "


आपको कुछ नही होने दूँगी मैं, ये कह कर हिमानी बाहर  की तरफ  दौड़ी उसे कुछ जड़ी बूटी चाहिए थी जो उसी जंगल में मिलती हे । लेकिन बारिश और अंधेरा इतना था  की ढूंढ पाना मुश्किल था .


हिमानी घबराई हुयी इधर से उधर भाग रही थी  और कह रही  थी  " भगवान  प्लीज् मेरी मदद  कीजिये मैं अपने प्यार को इस तरह मरते हुए नही देख सकती  मेरी मदद कीजिये ताकि मुझे वो जड़ी बूटी मिल जाए प्लीज् भगवान  जी आपकी  भक्त  आपसे  विनती कर रही  हे  मेरे प्यार को बचा लीजिये अगर उसे कुछ हो हो गया तो मैं मर जाउंगी "


वो नीचे बैठी रो रही थी हाथ जोड़े तभी आसमान में बहुत तेज बिजली चमकती हे  जिसकी रौशनी  ज़मीन पर पड़ते ही हिमानी को वो जड़ी बूटी नज़र आ गयी जिससे उस साप के काटे का इलाज हो सके उसने वैध जी से सीखा था  उस साप काटे का इलाज करना ।


जैसे ही उसने जड़ी बूटी हासिल की और ईश्वर का धन्यवाद करती हुयी गुफा की तरफ  दौड़ी हंशित  दर्द से करहा रहा था ।

वो आयी उसने उसका सर  अपने घुटने पर रखा  और उस जड़ी बूटी को हाथ से मसल कर उसका अर्ख उसके मुँह में डालती रही ताकि ज़हर का असर कम हो जाए उस जड़ी बूटी से।


हिमानी हंशित  के साथ इतना खो गयी की उसे याद ही नही रहा की उसके घर वाले भी कितना परेशान हो रहे होंगे।

हिमानी ने हंशित को जगाये रखा वो दोनों प्यार भरी बातें करते रहे, हिमानी भी  उसे अपने दिल में छिपा  प्यार जाहिर कर चुकी थी । हिमानी कुछ पल के लिए भूल बैठी थी की उसकी शादी सुरेन्द्र से तय हो चुकी हे  वो तो बस  पूरी रात हंशित को अपने घुटने पर लिटाई रही  और वो दोनों एक दूसरे की आँखों में आँखे डाल कर देखते रहे ।


वही दूसरी तरफ  हिमानी के घर वाले और हंशित के दोस्त हाथ बांधे घर में बैठे थे  और बारिश रुकने का इंतज़ार कर रहे थे वो रात भी ऐसी रात थी की कटने का नाम नही ले रही थी। वैशाली जी और हरी किशन जी की दुविधा कोई नही समझ सकता था ।


उधर रुपाली जी भी सौ नही पा रही थी शायद उन्हें भी आभास हो चला था अपने बेटे के तकलीफ में होने का।


आखिर कैसे पहुंचेंगे दोनों घर और क्या दोनों मिल पाएंगे अपने अपने दिलों में मोहब्बत का फूल खिलाकर  जानने ले लिए पढ़ते रहिये  

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5 Comments

Muskan khan

10-Aug-2022 09:53 PM

Very nice

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shweta soni

10-Aug-2022 10:49 AM

Bahot sunder 👌👌

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Nancy

10-Aug-2022 09:54 AM

Nice

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