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लेखनी कहानी -09-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 34



भोर हो चुकी थी बारिश हलकी हो गयी थी । हरी किशन जी और हंशित के दोस्त सब लोग घर से बाहर आ गए और जंगल की और जाने लगे ।

वो सब बेहद परेशान थे  और उनकी परेशानी की वजह जब और बढ़ गयी जब सामने से कविता जी आती दिखी अपने पति के साथ मंदिर से।


वो उनके पास आयी और उनकी हालत के पीछे का कारण पूछा  हरी किशन जी बताना नही चाहते थे  लेकिन ये कोई ऐसी बात भी नही थी जो छिप सके उन्हें जैसे ही पता चला हिमानी कल रात से घर नही आयी हे  और वो इस समय किसी गैर मर्द के साथ हे  जैसी उनसे आशा थी उन्होंने वैसा ही हंगामा  किया।


अपने बेटे सुरेन्द्र को फ़ोन लगा कर बोली " हाय लल्ला हम बर्बाद हो गए , हमारे मुँह पर कालिख पुत गयी हमारी होने वाली बहु ना जाने किस अजनबी या ना जाने अपने कोनसे आशिक के साथ रात काली करके आ रही हे  तू जल्दी आजा ।


"भाभी भाभी ऐसा बिलकुल नही हे जैसा आप  सोच रही हे, वो दोनों तो जंगल में फस गए हे हिमानी इन लोगो को जंगल घुमाने लेकर गयी थी  और फिर ना जाने कहा खो गयी , भाभी आप गलत समझ रही हे  " वैशाली जी ने कहा


"मैं गलत समझ रही हूँ, या आप लोगो को नज़र नही आ रहा है जवान लड़की एक जवान लड़के के साथ अकेली जंगल में फस गयी और आपको ये छोटी बात लगती हे " कविता जी ने कहा


"भाई साहब आप ही कुछ समझाइये भाभी को देखिए ना जाने क्या कुछ कह रही हे मेरी बेटी के बारे में " हरी किशन जी ने कहा कविता जी के पति से


"हरी किशन बात तो कविता ठीक ही कह रही हे  लेकिन मैं अभी कोई फैसला नही कर सकता  पहले बच्चों को ढूँढ़ते हे  उसके बाद देखते हे  क्या करना हे  आओ चलो जंगल की तरफ चलते हे , भगवान करे सही सलामत हो उस जंगल मैं तो जंगली जानवर भी बहुत हे  "कविता जी के पति ने कहा

ये सुन कविता जी ने मुँह बना लिया तब तक सुरेन्द्र भी आ चुका  था ।


गुफा में सौ रहे  हंशित और हिमानी की आँख  सूरज की रौशनी से खुली ।

हंशित को होश आ गया था, हिमानी घबरा कर उठी और बोली " शुक्र हे  की तुम ठीक हो अब बस  रास्ता खोज कर बाहर निकलेंगे उसके बाद तुम्हारा इलाज हो जाएगा "

हिमानी तुम्हारा शुक्रिया मुझे नयी ज़िन्दगी देने का, हिमानी तुम्हारा साथ पाकर तो मैं हर तकलीफ  से लड़ सकता हूँ तो फिर ये साप क्या चीज़ थी जिसके पास इतनी प्यार करने वाली लड़की हो उसे भला कुछ हो सकता हे  क्या। हंशित ने कहा

हिमानी थोड़ा शरमा गयी  और बोली हंशित  " मैं भी खुश किस्मत हूँ जिसे तुम जैसा सच्चा प्यार करने वाला लड़का मिला लेकिन मुझे डर हे की आखिर हमारे इस प्यार की मंजिल क्या होगी जबकी मैं किसी और की दुल्हन बनने जा रही हूँ घर वालो से क्या कहूँगी  क्या वो हमारे इस प्यार को समझेंगे  "


"हम उन्हें समझा कर रहेंगे मुझे यकीन हे  जब उन्हें पता चलेगा  हमारे प्यार के बारे में तो वो हमें जरूर कबूल करेंगे तुम परेशान ना हो और अगर कबूल नही भी किया तो हम दोनों हे एक दूसरे के लिए " हंशित ने कहा


"नही हंशित मैं तुमसे प्यार करती हूँ, और तुमको अपना जीवन साथी के रूप में देखना भी चाहती हूँ लेकिन अगर मेरे माता पिता नही माने तो मैं उनके खिलाफ हर गिज़ नही जाउंगी, मैं मरना पसंद करूंगी लेकिन उनका शर्मिंदगी से झुका सर  देखना हर गिज़ पसंद नही करूंगी । उन्हें मुझ पर और भव्या पर नाज़ हे  मैं नही चाहती की वो मुझे इस तरह बागी देख कर अपनी परवरिश को कोसे और सोचे की काश हमने इसे पैदा होते ही मार दिया होता तो आज ये हमारे माथे पर कलंक ना मलती मैं नही चाहती की समाज में स्त्री की छवि ख़राब हो " हिमानी ने कहा


"हिमानी तुम एक बहुत ही समझदार और बहादुर बेटी हो  जिसके लिए उसके माता पिता की इज़्ज़त सबसे ऊँची हे  यहाँ तक की उसके प्यार से भी बढ़ कर, जैसा तुम चाहो वैसा ही होगा हम अपने रिश्ते की शुरुआत अपने बढ़ो के आशीर्वाद से करेंगे अगर ऐसा नही तो फिर जो मुकद्दर में लिखा होगा उसी को तक़दीर समझ लेंगे और जुदाई का जाम पी लेंगे " हंशित ने कहा


हंशित के मुँह से इस तरह की बात सुन हिमानी को उस पर बेहद प्यार आया और वो उसके सीने से लग गयी  उसके बाद वो दोनों रास्ता खोजने लगे हंशित से चला नही जा रहा था  उसकी टांग सूज गयी थी। काफी देर कोशिश करने के बाद आखिर कार उन्हें रास्ता मिल ही गया  और वो ख़ुशी ख़ुशी एक दूसरे का सहारा बने उस रास्ते पर जा रहे थे ।



उधर  भव्या और उसके घर वाले उन्हें ढूंढ रहे थे ।

बहुत देर बाद हंशित और हिमानी एक दूसरे का हाथ थामे उन लोगो के सामने अचानक आ गए  उन लोगो को देख  वो दोनों घबरा गए ।

उन दोनों को सही सलामत देख  वो लोग खुश हुए लेकिन हरी किशन जी बेहद गुस्से में थे  वो कुछ कहते तब ही कविता जी बोल पड़ी  " देख  लीजिये पंडित जी आपकी बेटी केसा गैर मर्द का हाथ थामे ख़ुशी ख़ुशी आ रही हे  कोई देख कर कहेगा की ये लोग जंगल में खो गए थे  मुझे तो लगता हे  ये आपकी बेटी हम सब की आँखों में धूल झोक कर जंगल में मंगल करके आ रही हे  क्यू सही कहा ने वैशाली मैने "

"नही पापा ऐसा कुछ नही हे , जैसा आप लोग समझ रहे हे  बात दरअसल ये हे  " हिमानी कहती तब ही कविता जी बीच में बोल पडती और कहती  " अब कहने को रह ही क्या गया हे  सब कुछ तो हमने अपनी आँखों से देख लिया हे  आखिर तेरा इस लड़के के साथ किया रिश्ता हे  क्यू तू हर बार इस लड़के के साथ ही घूमती फिरती मिलती हे  "


"भाग्यवान उसे थोड़ा सास तो लेने दो बता देगी वो की आखिर वो लोग रात भर कहा थे  " कविता  जी के पति ने कहा

"जी भाभी भाई साहब सही कह रहे हे , अब हिमानी आ गयी हे  ना सब बता देगी और जैसा आप सोच रही हे  वैसा कुछ नही हुआ होगा मुझे अपनी बेटी पर पूरा भरोसा हे  " वैशाली जी ने कहा हिमानी की तरफ देखते हुए ।

हरी किशन जी खामोश थे अब तक और वो अपनी ख़ामोशी को तोड़ते हुए बोले " आखिर  कहा थी तुम रात भर हिमानी क्या यर जंगल  और इस जंगल के रास्तो से तुम वाकिफ नही हो, क्या तुम्हे इस जंगल का चप्पा चप्पा नही पता तो फिर आखिर तुम गुम कैसे हुयी मुझे बताओ आखिर बात क्या हे , और ये लड़का कौन हे  और हर दम तुम्हारे पास क्यू होता हे  बताओ हिमानी बताओ मैं कुछ पूछ रहा हूँ "


"प,,, प,,, पिता जी बात कुछ ऐसी हे , की हम लोग जंगल के बीचो बीच थे  तभी मेरा पैर फिसला और मैं नीचे गिर गयी  अंधेरा होने लगा  था  और मौसम बेह ख़राब था  थोड़ी देर बाद बारिश शुरू हो गयी थी जिस वजह से हम  रास्ता नही ढूंढ सके हमने कोशिश बहुत की लेकिन कोई रास्ता ना मिल सका फिर एक गुफा दिखी और हम लोग उसमे चले गए  " हिमानी कुछ और कहती.

तब ही कविता जी बोल पड़ी " राम राम,,, देख सुरेन्द्र अपनी होने वाली लुगाई को ना जाने क्या रंग रलिया मना कर आ रही हे  इस लोंडे के साथ और हमें कैसी झूठी कहानी सुना रही हे ।


"बस  आंटी एक लफ्ज़ और नही अगर अब आपने हिमानी के दामन पर कीचड उछाली तो भूल जाऊंगा की आप मुझसे उम्र में बड़ी हे " हंशित ने कहा


"तेरी मजाल कैसी हुयी मेरी माँ इस तरह बात करने की तू होता कौन हे  मेरी माँ से इस तरह बात करने वाला " सुरेन्द्र ने कहा

"मैं जो कोई भी हूँ लेकिन एक बेगुनाह पर इल्जाम लगते नही देख सकता हिमानी बेक़सूर हे , हम दोनों साथ जरूर थे लेकिन जैसा आप लोग सोच रहे हे  वैसा कुछ नही हुआ था  ""हंशित ने कहा

"हम कैसे मानले की ये सामने खड़ी लड़की बेगुनाह हे  तुम दोनों के बीच ऐसा कुछ नही हुआ क्या तुम लोगो की हालत देख कर अंदाजा नही लगाया जा सकता ये इस तरह फटे कपडे , क्या तुम्हारे पास कोई सबूत हे  इस बात का की कल तुम लोगो के बीच कुछ नही हुआ और ये सामने खड़ी लड़की गंगा की तरह पवित्र हे  " कविता जी के पति ने कहा


"कोई जवाब हे  इस बात का क्यू अब चुप क्यू हो गए  " कविता  जी ने कहा

"बस चुप हो जाए आप लोग, आखिर आप लोगो को हमारी बात पर यकीन क्यू नही आ रहा हे, आखिर क्यू हम दोनों को कटघरे में खड़ा किया जा रहा हे आप लोग मान क्यू नही लेते की हम दोनों के बीच ऐसा वैसा कुछ नही हुआ " हिमानी ने चीख कर कहा 

"क्यूंकि जिस तरह तुम दोनों एक दूसरे का हाथ थामे आ रहे थे उसे देख कर तो नही लगता की तुम दोनों के बीच कोई रिश्ता नही हे  आखिर क्या रिश्ता हे तुम दोनों के बीच आखिर ऐसा किया हे इस परदेसी में जो ये हरदम तेरे साथ ही नज़र आता हे आखिर क्या चल रहा हे तुम दोनों के बीच और कल रात किया हुआ था जंगल में क्या तुम दोनों अपनी मर्ज़ी से गए थे वहा " कविता जी और कुछ कहती तब ही हिमानी रोते हुए बोली " आप लोग यकीन क्यू नही कर रहे है "


हिमानी कुछ और कहती तब ही हंशित बोल पड़ा " हिमानी तुम्हे इस तरह इन लोगो के सामने अपनी सफाई पेश करने की कोई ज़रुरत नही इन्हे पता लगने दो की आखिर मैं तुम्हारे आगे पीछे क्यू फिरता हूँ क्यू तुम्हारी और खींचे जा रहा हूँ, तो सुनिए आप लोग मैं हिमानी से प्यार करता हूँ और उसे अपनी दुल्हन बनाना चाहता हूँ "


ये सुन कर वहा खड़े सब लोगो के पैर तले ज़मीन निकल गयी, भव्या ये सुन थोड़ा मुस्कुराई उसने श्रुति की तरफ देखा वो भी मुस्कुरा रही थी।


ये मेरा बहादुर शेर लव ने कहा हलके से।

"देखा पंडित जी आपने मैं कहती थी की इन दोनों का कुछ चककर चल रहा है अब सच सबके सामने आ गया पूछिए अपनी इस लाडली बेटी से कि क्या ये भी इस शहरी लड़के के साथ जाना चाहती है अगर ऐसा है तो फिर हमारी क्या ज़रुरत हम चलते है, चल सुरेन्द्र देख लिया तूने अपनी भोली भाली हिमानी जी का असली रंग रूप मुझे तो पहले से ही शक था इसकी मासूमियत पर जितनी भोली बनती थी उतनी है नही " कविता जी ने कहा


"बस आंटी मेरी बहन पर इल्जाम लगाना बंद कीजिये हम लोग जवाब नही दे रहे है तो इसका मतलब ये नही कि हमारे मुँह में जुबान नही " भव्या ने कहा


"चुप हो जा भव्या एक दम खामोश " वैशाली जी ने गुस्से में कहा

"वाह साहब वाह, अब तो पिद्दी के मुँह में भी ज़ुबान आ गयी देखा कैसे दोनों बहनों के असली चेहरे सामने आ रहे है, देखा सुरेंद्र के पिता जी, केसा आप दोनों पंडित जी कि बेटियों के गुण गान गाया करते थे, कि पंडित जी कि बेटियां यूं तो पंडित जी कि बेटियां यूं  चल सुरेन्द्र अब हमारा यहाँ कोई काम नही हमारी होने वाली बहु का आशिक सामने खड़ा है "कविता जी ने कहा और सुरेन्द्र का हाथ पकड़ कर ले जाने लगी।


तब ही हरी किशन जी ने कहा " रुकिए भाभी अभी फैसला हुआ नही है "

"अब किया फैसला होना है, सब कुछ तो आपके सामने है आपकी बेटी का आशिक आपके सामने खड़ा है " कविता जी ने कहा

"अभी मैने अपनी बेटी के मुँह से नही सुना है पहले उससे जान लू उसके बाद फैसला करता हूँ कि क्या करना है " हरी किशन जी ने कहा गुस्से में


और फिर हिमानी से एक सवाल पूछा " क्या तू भी इसे पसंद करती है हाँ या ना में उत्तर दे "


"पापा वो " हिमानी कहती लेकिन तब ही हरी किशन जी गुस्से में कहते है हाँ या ना मुझे वजाहत ( एक्सप्लनेशन )नही सुन्नी मुझे सिर्फ हाँ या ना में जवाब चाहिए, क्या तू भी इस शहरी लड़के से प्यार करती है


हिमानी डरी सहमी खड़ी थी, उसने सब कि तरफ देखा भव्या कि तरफ अपनी माँ की तरफ और फिर हंशित की तरफ और बोली " जी पापा  "


ये सुन कर तो मानो हरी किशन जी का गुस्सा सातवे आसमान पर जा पंहुचा हिमानी कुछ और कहती तब ही उसके गाल पर खींच कर तमाचा मारते हुए बोले " हर गिज़ नही, सुरेन्द्र दो दिन बाद बारात लेकर आ जाना मेरी देहलीज पर और मेरी बेटी को ले जाना मैं इतिहास दोहराना नही चाहता  और हाँ अपनी माँ से कहना दहेज़ भी साथ में दे दिया जाएगा वो घबराये नही "


ये सुन वहा खड़े सारे लोग हक्का बक्का रह गए वैशाली जी उन्हें तो यकीन नही हो रहा था की वो सब एक हकीकत था,

हिमानी वहा खड़ी रो रही थी और अपने पापा से उसकी पूरी बात सुनने का कह रही थी।लेकिन वो उसे अपने साथ ले जा रहे थे 

वही दूसरी और हंशित उसे रोकने की कोशिश कर रहा था। उसकी आँखों से आंसुओं का झरना बह रहा था। तभी अचानक बारिश आ गयी।

उसे मत लेकर जाइये अंकल हमारी बात सुन लीजिये एक बार हंशित कह रहा था तभी अचानक उसे दर्द हुआ पैर में और वो बेहोश हो गया।


उसके दोस्त उसे इस तरह देख घबरा गए और चीखने लगे हंशित उठो तुम्हे किया हुआ है।

ये आवाज़ जब हिमानी ने सुनी तो कहा पापा मुझे जाने दीजिये उसके साप ने काटा था अगर उसका इलाज नही हुआ तो वो मर जाएगा।

"उसके इलाज के लिए उसके दोस्त मौजूद है तुझे जाने की कोई ज़रुरत नही घर चल सीधा " वैशाली जी ने कहा गुस्से से।


भव्या अपनी बहन के लिए परेशान थी और प्रार्थना कर रही थी की हंशित ठीक हो जाए और हिमानी और हंशित भी एक हो जाए।


क्या हंशित बच पायेगा, क्या हिमानी सुरेन्द्र की दुल्हन बन जाएगी हमेशा हमेशा के लिए आखिर कौन सा इतिहास दोहराने की बात कर रहे थे हरी किशन जी जानने के लिए पढ़ते रहिये 


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4 Comments

Muskan khan

10-Aug-2022 09:52 PM

Very nice 👍

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shweta soni

10-Aug-2022 10:47 AM

Behtarin rachana sir , agle bhag ka intezar rahega 👌

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Nancy

10-Aug-2022 09:54 AM

Nice

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