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लेखनी कहानी -10-august -2022 Barsaat (Love ♥️ and tragedy ) episode 38 ( last episode )



हंशित हेलीकाप्टर पर चढ़ते चढ़ते  रुक गया और नीचे उतरने लगा उस आवाज़ को सुन कर।


"हंशित कहा जा रहे हो ऊपर आओ  " हिमानी ने कहा

"तुम चलो हिमानी मैं आ रहा हूँ मुझे कोई मदद के लिए पुकार रहा है  " हंशित ने कहा

" मत  जाओ कोई नही है  वहा  तुम्हे वहम हुआ होगा " हिमानी ने कहा

"नही कोई है  मुझे बुला रहा है  " हंशित ने कहा तब ही वहा एक बूढी औरत कराहती हुयी नज़र आयी जो की एक तरफ इशारा कर रही थी ।


हंशित तुरंत नीचे उतर आया  हिमानी भी उसके पीछे आ गयी , उन दोनों को ऐसा करते देख  उसके माता पिता उन दोनों को बुलाने लगे  और खुद भी नीचे उतर आये ।


वो औरत  बोली " बेटा मेरे बच्चों को बचा लो उनके सिवा मेरा कोई नही इस दुनियां में तुम्हे भगवान का वास्ता उन्हें बचा लो वो अंदर मंदिर में फसे हुए है  वो वहा खेल रहे थे और अंदर फस गए है  मैं जानती हूँ वो ज़िंदा मैं महसूस कर सकती हूँ, बेटा उन्हें बचा लो "


हंशित ने ये सुना तो उनकी मदद को आगे बड़ा तब हिमानी ने उसका हाथ  थामा और कहा " मत जाओ हंशित "

नही हिमानी मुझे जाना होगा, वो बच्चें मुसीबत में है  तब ही हंशित ने अपने गले में पड़ा एक लॉकेट उसे दिया और कहा " ये मेरी माँ ने मुझे दिया था जब तक मैं लोट ना आऊ ये लॉकेट तुम्हारे पास मेरी याद के तोर पर रहेगा 

ये कह कर उसने हिमानी को गले लगाया , हिमानी रो रही थी और उसे रुकने का कह रही थी  लेकिन वो नही रुका और उन बच्चों को बचाने के खातिर  दौड़ पड़ा।


जैसे तैसे करके वो मंदिर तक पंहुचा  उसके पैर डगमगाने लगे , वो कदम उठाना चाह रहा था पर उठ नही रहे थे  क्यूंकि वो मंदिर आना नही चाहता था दर्शन के लिए  लेकिन ये केसा संयोग था की वो ना चाहते हुए भी आज  मंदिर की देहलीज पर खड़ा  था  वो असमंजस में था की अंदर जाए या नही।


लेकिन तभी उसे बच्चों की आवाज़े आयी जो मदद के लिए पुकार रहे थे  इस लिए उसने ना चाहते हुए भी अपने कदम मंदिर के अंदर रख दिए ना चाहते हुए भी उसने दर्शन कर ही लिए  शायद भगवान को अपने दर्शन उसे इस तरह ही देना थे  इसलिए तो वो बच्चों को बचाने मंदिर के अंदर आ गया ।


बच्चें मंदिर के अंदर फसे थे । उसने उन सब को अपनी गोदी में उठाया और बहुत मुश्किलों का सामना करके बाहर ले आया ।


हेलीकाप्टर उसकी तरफ आने लगा , सब लोग खुश थे की आखिर कार अब बच्चें और हंशित दोनों बच जाएंगे, हिमानी भी संतुष्ट हो गयी थी उसे मंदिर के बाहर सुरक्षित देख कर।


हेलीकाप्टर ने अपनी सीड़ी नीचे फेकी, एक एक करके उसने उन दोनों बच्चों को सीड़ी से ऊपर भेज दिया और अब वो खुद ऊपर आने वाला था  लेकिन तभी उसके कानो में कुछ सुनाई पड़ा और वो चढ़ते चढ़ते रुक गया ।


वहा खड़े सब लोग उससे चढ़ने का कह रहे थे लेकिन ना जाने उसे किया हुआ उसे वो हादसा याद आ गया  वो लड़की जो उसकी गाड़ी से टकरा कर मर गयी थी उसका चेहरा सामने आने लगा था ।


और फिर अचानक वो हुआ जो नही होना चाहिए था  हिमानी चिल्लाती रही कोई बचाये उसे वो मर रहा है  लेकिन तब तक एक लहर पानी की आयी और हंशित को अपनी साथ बहा ले गयी ।


हिमानी के पास सिर्फ उसका लॉकेट रह गया , वो रोती रही बिलखती रही  लेकिन बहुत देर हो चुकी थी  हंशित जा चुका था  उन बच्चों को बचाने के खातिर उसने अपनी जान की क़ुरबानी दे दी।

. सब कुछ बर्बाद हो गया था , चारो और मानसून और उसकी बारिश की तबाही ही तबाही थी , चारो और लोग अपनों को खोने का दुख मना रहे थे ।


केदारनाथ पूरा पानी और लोगो के आंसुओं में डूब गया था , वो मानसून और वो बारिश किसी के अश्याने बहा ले गयी तो किसी की खुशियाँ तो किसी का प्यार अपने साथ बहा ले गया  बाद में जो बचा वो सिर्फ तबाही का मंज़र ही था । और उसी में वो मंदिर  जो उस विशाल तबाही में भी ज्यो का त्यों खड़ा रहा ।


सब कुछ बदल गया था  वहा का नज़ारा  जहाँ कभी लोगो की भीड़ हुआ करती थी वहा मौत का खौफ लिए पानी बह रहा था  जो अपने सामने आने वाली हर चीज को अपने आगोश में लिए जा रहा था । उस मानसून और उसकी बारिश ने विकराल रूप धारण कर लिया था ।


हंशित के जाने की खबर ने उनके घर में कोहराम मचा दिया था  जब उन्होंने हंशित  की तस्वीर अख़बार में देखी और पड़ा  की एक बहादुर अपनी जान की परवाह किए बिना ही लोगो को बचाने में शहीद हो गया  देश  ऐसे बहादुरो को हमेशा याद रखेगा ।


दूसरे पेज पर भी उसकी ही तस्वीर थी उसने वो प्रतियोगिता जीत ली थी इसलिए उसकी तस्वीर छपी थी  रुपाली जी ने गुस्से में वो अख़बार  हंस राज़ जी के मुँह पर मारी और कहा " देख लीजिये मेरे बेटे ने मर कर भी अपना वायदा पूरा किया आप कहते थे ना की वो नाकारा है  कुछ नही कर सकता और उसका वो प्रोफेशन जो आप दोनों बाप बेटे के बीच  नफरत  की दीवार बना रहा देखिये  आपके बेटे की तस्वीर छपी है  हर जगह उसी के चर्चे हो रहे है  बन गया वो बड़ा आदमी लोगो के आशयाने तोड़ कर नही बल्कि लोगो को उनके अपने लोटा कर, वो कहता था  एक दिन उसकी तस्वीर अख़बार में छपेगी और तब तक बहुत देर हो चुकी होगी आप चाहोगे भी तो उसकी पीठ नही थप थपा सकोगे  "


. हंसराज जी रो रहे थे आज उन्हें भी एहसास हो गया था की उन्होंने जो कुछ भी करा गलत किया अपनी अना के खातिर उन्होंने अपने बेटे से दूरी बना ली और लोगो पर जुल्म करके ज़ालिम इंसान बन बैठे उन्होंने अपने बड़े बेटे के ख्वाब उसके सपने सब कुचल दिए और वही सब कुछ वो अपने छोटे बेटे के साथ करना चाहते थे अपनी शान बरकरार रखने के लिए । आज उन्हें वो औरत याद आ गयी  जिसने उन्हें बद्दुआ दी थी की जब तेरा भी कोई अपना इस दुनियां से जाएगा तब तुझे दूसरे की दर्द और तकलीफ का पता चलेगा  आज  मेरा गया है  कल तेरा जाएगा तेरा कर्म तुझ तक लोट कर आएगा ।




After one year


रुपाली जी हंशित के जाने के गम को सहन कर नही पा रही थी , हंसराज जी जो की अपने बेटे को आख़री बार गले भी ना लगा सके  उन्हें यही सदमा खाये जा रहा  था  वो दोनों जिन्दा लाश बन चुके थे ।


लेकिन शायद उनकी ज़िन्दगी में नया मेहमान आने वाला था  और वो था रजनी और रजत का बेटा जो दुनियां में आ चुका था जिसके आने की ख़ुशी ने उनके बेटे के जाने के गम को खत्म तो नही अलबत्ता कम कर दिया था  और हंसराज जी भी अब थोड़ा झुक गए थे  क्यूंकि वो समझ गए थे  रिश्ते निभाने के लिए थोड़ा झुकना ज़रूरी है  क्यूंकि जो डाली फल लगने पर झुकती नही है  उसे हवाएं तोड़ देती है ।


काव्या की शादी हो गयी थी । हेमलता जी इस दुनियां से जा चुकी थी पोते के पास उनसे पोते का गम बर्दाश नही हुआ और वो चली गयी उसी के पास।


श्रुति ने कसम खायी थी की अगर हंशित को होश आ गया तो वो अपनी माँ को माफ कर देगी इसलिए उसने उसे दिल से माफ कर दिया अब वो दोनों एक साथ रहती है ख़ुशी ख़ुशी।


कुश लंदन चला गया  था  आगे की पढ़ाई करने और जॉन भी अब बाहर जाने की तैयारी कर रहा था ।


लव और भव्या ने शादी कर ली और वो केदारनाथ चले गए वैसे भी लव की सौतेली माँ ने उसे कभी बेटा नही जाना और पिता तो कभी उससे प्यार से बोलता ही नही था  भव्या ने उसे समझा और उन दोनों ने सबकी मर्ज़ी के साथ शादी कर ली।


हिमानी के माता पिता ख़ासकर पिता खुद को कसूरवार समझते हिमानी की हालत का, उन्ही के आत्म सम्मान के खातिर उसने हंशित के प्यार को ठुकरा दिया था  और आज  देखो  

हिमानी, हंशित की यादों से कभी बाहर ही नही निकली वो लॉकेट उसने मंगल सूत्र समझ कर अपने गले में डाल लिया था और खुद को उसकी प्रेमिका नही बल्कि अर्धांग्नी मान लिया था ,


हंशित को जो पैसे मिले थे प्रतियोगिता जीतने पर वो उसके घर वालो ने हिमानी को दे दिए हिमानी ने उसकी याद में एक अनाथ आश्रम खोल दिया उसमे उन बच्चों की परवरिश करने लगी जिन्होंने अपने माता पिता को उस त्रासदी में खो दिया था  और वो दर दर भटकने को मजबूर हो गए  थे ।


किसी अपने के जाने का दुख  हिमानी से बेहतर कौन समझ सकता था ।


आज  भव्या उसके पास आयी थी , उसे ना सही भव्या को तो उसका प्यार मिल ही गया , किसी एक की तो प्रेम कहानी  मंजिल पा ही गयी ।


भव्या हिमानी के गले लग गयी  और रोने लगी  और बोली " दीदी मुझसे आपकी ये हालत देखी नही जाती मैं ही थी जिसने आपको प्यार करने पर उकसाया और अब देखो आपने अपनी क्या हालत बना ली "


नही मेरी बहन तेरी कोई गलती नही प्रेम दिलों में ईश्वर डालते है  इंसान नही, मेरे दिल में हंशित के लिए सच्चा प्रेम ईश्वर ने ही डाला था , भले ही हमारा प्यार धरती पर अधूरा रहा लेकिन देखना मरने के बाद हम जरूर एक हो जाएंगे भले ही उस त्रासदी ने मेरा प्यार मुझसे छीन लिया लेकिन मुझे ईश्वर में पूरा भरोसा है  की मैं उसे एक दिन पा ही लूंगी ।


और वैसे भी मैने तुझसे कहा था सच्चा प्यार करने वाले भले ही मिले ना मिले लेकिन उनकी आत्माये मिल जाती है  मेरी भी एक दिन आत्मा उससे मिल जाएगी और मैने तुझसे कहा था सच्चा प्यार बैरागी बना देता है अपने प्रेमी का तो देख  मैं बैरागी बन गयी ये हिमानी हंशित की बैरागी बन गयी । हिमानी हंशित की हो गयी सातों जन्म तक के लिए।




The end



Note = आप  सब को केसा लगा ये धारावाहिक  टिप्पड़ी करके ज़रूर बताये , अगर कुछ गलती या कही कोई गलत चीज लिख गयी हो ईश्वर, भगवान,  मंदिर  या जगह को लेकर तो माफ़ी चाहता हूँ। आप  सब  का  धन्यवाद धारावाहिक के आख़री किस्त तक मेरे साथ जुड़े रहने के लिए 

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4 Comments

Renu

14-Aug-2022 06:09 PM

शुरआत से लेकर अंत तक बहुत ही अच्छी स्टोरी थी, 👍👍💐💐

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Reena yadav

11-Aug-2022 04:30 PM

बहुत ही बेहतरीन लिखा आपने..... प्यार के साथ ही बाकी सभी पहलू सामाजिक, आर्थिक, पक्षों को भी बेहद ही खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया ...... हंशित का सच्चा प्यार....🥰,,, हिमानी का अपने अभिभावकों की प्रति सम्मान.....😌,,, हंसराज जी का गरीब लोगों के प्रति नजरिया....😠,,, रूपाली जी का अपने बेटे के प्रति विश्वास......☺️,,, लव, जान, श्रुति सभी की दोस्ती..….🤗,,, भव्या का अपनी बहन को बेहद करीब से जानना.......🤗,,, सुरेंद्र ओर उसकी मां का खुदगर्ज होना......🤨,,, सस्पेंस का भी बेहतरीन कॉम्बिनेशन था...... सभी भाग एक दूसरे को अंत तक जोड़े रखते हैं जब भी एक खत्म होता है अगले भाग का बेसब्री से इंतज़ार रहा...🤗 अंत तक जुड़े रहने को खुद ही अग्रसर करता है। 👌👌💐💐😇😇

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Mohammed urooj khan

11-Aug-2022 06:00 PM

बहुत बहुत शुक्रिया mam, आप का 🙏🙏🙏

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Raziya bano

10-Aug-2022 06:19 PM

Bahut sundar rachna

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