Shikha Arora

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लेखनी कहानी -10-Aug-2022- दोस्ती बचपन की

दोस्ती बचपन की,
दिल में बसे स्वपन की,
वह साथ साथ चलना,
एक दूसरे का ख्याल रखना,
टिफिन उनसे शेयर करना।
बातों का वो सिलसिला,
हंसते थे खिलखिला।
टीचर का हमारी सीट पर, 
हमको जबरन बैठाना,
हमारा उठकर फिर से,
दोस्तों की सीट पर जाना।
पूछती टीचर तो बहाने बनाना,
बेंच के नीचे छुपकर खाना,
रबड़ शार्पनर का नीचे गिराना।
मुंह से निकालना डरावनी आवाज,
नई शरारत का कर जाना आगाज। 
इन सब में शामिल दोस्त का होना,
अकेले कभी पड़ा नहीं हमको रोना।
साथ - साथ रोना, साथ ही हंसना,
खेल के मैदान में भी बना रहा साथ।
थोड़े हुए बड़े, बचपन छूटा,
नई शरारतों का फिर ग्लास टूटा। 
क्लास बंक में रहते साथ,
खाए डंडे ले हाथों में हाथ।
दोस्तों के पीछे हुई लड़ाई,
साथ में बैठ कर की हमने पढ़ाई।
याद आज भी वह पल आते बड़े,
दोस्त जब हमारे लिए दुनिया से लड़े।
यादों में ही अब वो दोस्त रह गए,
गम वह हमारे जो सारे सह गए।
जान हुआ करते थे जो हमारी,


#दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
जिंदगी के सफर में दूर बह गए।।

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4 Comments

shweta soni

12-Aug-2022 03:15 PM

Nice 👍

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👌🏼 👌🏼 👌🏼 लाजवाब

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Raziya bano

11-Aug-2022 06:35 AM

Bahut sundar rachna

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