सबको बता रहा हूँ मैं एक रात का मैसेज,
आया था मेरे पास मुलाकात का मैसेज।
कुछ और तरहा तेरी ज़बाँ बोल रही है।
कुछ और मिल रहा है तेरी ज़ात का मैसेज,
कुछ और मिरे रुख़ से नुमुदार है वरना,
दिल में दबा है मेरे ख़्वाहिशात का मैसेज।
फिर उसकी ज़िंदगी में और क्या सिफ़ात हो,
जिसने पढा नइ आली-सिफ़ात का मैसेज।
आता नहीं है ग़लती से अब कोई भी मैसेज,
आता था पहले वरना हर इक बात का मैसेज।
रहे-मैसेज में मेरी आँखें फिर शोलाबर हुई,
एक बार तू बस भेज दे नज़ात का मैसेज।
छोड़कर के इश्क़-ए-दुनिया हम आयेंगे उस ज़मीं,
और फ़िर पढा करेंगे पाक़-ज़ात का मैसेज।
फॉरमेट करके उसको अब आसान है हयात,
'तनहा' डिलीट कर दिया उसके साथ का मैसेज।
तारिक़ अज़ीम 'तनहा'
221 2121 1221 212
Teena yadav
12-Aug-2022 03:24 PM
Very nice 👍
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shweta soni
12-Aug-2022 02:29 PM
बेहतरीन रचना 👌
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Ilyana
12-Aug-2022 12:05 PM
Superb
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