ख़ामोशी
शोर किसी को पसंद नहीं
ख़ामोशी में भी गुजर नहीं
हर कोई रहनुमा बना फिरे
राह-ए-रास्त की ख़बर नहीं
वाइज जो कहे, करें ना खुद
नसीहतों में यूं ही असर नहीं
गांव का मकान बेच आया था
कहां जाऊं शहर में बसर नहीं
सुने है खुदा अब सीधे कहां
एजेंटों बिना कोई शहर नहीं
भटके है तु "राही" इधर-उधर
क्या ये दिल ख़ुदा का घर नहीं
Punam verma
14-Aug-2022 09:08 AM
Very nice
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Abhinav ji
14-Aug-2022 08:30 AM
Very nice👍
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
13-Aug-2022 10:55 PM
बेहतरीन
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