बारिश की बूँदों को मुट्टी में जमा करना,
बिना परवाह किए कि वो ठहरेंगे या नहीं ,
पेपर के बोट बनाकर,
तालाबों में छोडऩा,
फिर हासिल करना ख़ुशी ,
जैसे कोई हसी कैद हैं उदासी में,
आसमान को देखकर,
ये सवाल करना की हमें खुशकिस्मत बनाया हैं आपने,
बिना कुछ हमसे लिए हमारी उदासी को भिगोया हैं आपने,
हर ज़ख़्म को दवा की आपने,
दुआ हैं आपकी जो प्रकृति को छुआ हैं आपने,
Mithi . S
17-Aug-2022 09:38 AM
Bahut achhi rachana
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Punam verma
17-Aug-2022 08:15 AM
Very nice
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Abhinav ji
16-Aug-2022 09:18 AM
Very nice
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