कहानीः दुनिया
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ट्रीं..ट्रीं..(मोबाइल)
माधव बाबूः हलो..बेटा,कैसे हो?
शलभः पापा,प्रणाम।ठीक हूँ।आपलोग कैसे हैं।
माधव बाबूः अब क्या बताऊँ बेटा हमलोग कैसे हैं।हमलोग ठीक हैं।बुढ़ापे का देह है,बस चल ही रहा है।
तुम्हारी अम्मा अब बीमार ही रहती है।बुढ़ापे का शरीर है,कब थम जाए..,समय मिले तो एकबार आ जाओ बेटा देख लो..।
शलभः पापा,ये तो पॉसिबल ही नहीं है,अभी आना।कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट ही हुआ था तीन साल का..तो जब तक तीन साल नहीं हो जाता तब तक मैं आ ही नहीं पाऊंगा।
माधव बाबूः हाँ बेटा..,सही कह रहे हो।जब तुम क्लास में अव्वल आते थे तो सबसे अधिक खुश माधवी ही होती थी।जब तुम्हारा विदेशी कंपनी में सेलेक्शन हुआ था तब भी माधवी बहुत खुश हुई थी ,जब तुम विदेश जा रहे थे तब भी वह बहुत खुश हुई थी।जब अपनी मरजी से शादी कर लिए थे तब...थोड़ी दुखी हुई थी..!!
...खों..खों...ओह माफ करना बेटा...बहू को मुंहदिखाई के लिए अपने कंगन रखी है...वो...अपने हाथों से देना चाह रही थी।...खोट तो हमारे परवरिश में रह गई है..!!
शलभः ओफ्फो पापा..,आप क्या बेकार का बहस लेकर बैठ गए।कंपनी चेंज किया हूँ ना..तो..माँ का इलाज कराईए ना..मैं और रूपये भेज रहा हूँ..।
माधव बाबूः मेरे पास पैसों की कोई दिक्कत नहीं है ना।मुझे पेंशन तो मिलता ही है..।जब जरूरत होगी तो बोल दूंगा।
चलो फोन रखता हूँ।
शलभः बाय पापा।
माधवीः शलभ का फोन था जी।
माधव बाबूः हाँ,उसी का था।अब आप इतनी जल्दी कैसे उठ गईं..डॉक्टर ने आपको सख्त हिदायत दी है..नींद कम नहीं होना है।
माधवीः क्या बकवास करते रहते हैं।मैं चाय बनाती हूँ।
माधव बाबूः अरे नहीं श्रीमती जी,आप नहीं उठिए,लक्ष्मी आएगी तब चाय बनेगी..!!आपका धड़कन बढ़ जाता है आप आराम कीजिए।
माधवीः जब लक्ष्मी आएगी तब चाय बनेगा,नहीं आए तो..हम खाना भी नहीं खाएंगे क्या!!
माधव बाबूः हाँ...शायद...!!देखिए माधवीजी,बेटे को तो खो दिया मैंने..अब आपको नहीं खोना चाहता...।
माधवीः अब आप रोने लगे...बच्चा है ना शलभ,उसकी बातों को दिल पर क्यों लेना।
#स्वरचित और काल्पनिक
सीमा..💗✍️
#लेखनी दैनिक प्रतियोगिता
Mithi . S
17-Aug-2022 09:28 AM
Bahut achhi rachana
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Teena yadav
15-Aug-2022 10:46 PM
Very nice 👍
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Muskan khan
15-Aug-2022 09:49 PM
👌👌
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