गीत ( आजादी )

गीत

रच गए नया इतिहास यहाँ, अद्भुत करतब दिखलाए हैं 
भारत के वीर सपूतों ने, अरियों के दिल दहलाए हैं।

भारत माता की रक्षा में जो, फाँसी पर भी थे झूले 
उनके कारण ही आज यहाँ, आजादी से हैं हम फूले

संघर्षों से जूझे डटकर, पर कभी नहीं घबराए हैं
भारत के वीर सपूतों ने, अरियों के दिल दहलाए हैं ।

चिंता न कभी भी की अपनी, वे कभी चैन से नहीं जिए
आजादी के दीवानों ने, न्योछावर अपने प्राण किए

घर द्वार छोड़ना पड़ा जिन्हें, जन-जन के मन में छाए हैं
भारत के वीर सपूतों ने, अरियों के दिल दहलाए हैं ।

जो युद्ध हुए उनमें उनका, बैरी ने भी लोहा माना
झोंकी पूरी ताकत अपनी, किसने न भला उनको जाना

मिट गए समर्पण किया नहीं, वे सबको इतना भाए हैं
भारत के वीर सपूतों ने, अरियों के दिल दहलाए हैं।

जननी होती है जन्म-भूमि, उसके हित में क्या- क्या न किया
हम सबको अमृत मिल जाए, इसलिए गरल खुद यहाँ पिया

आजादी की बहती गंगा, भागीरथ बनकर लाए हैं
भारत के वीर सपूतों ने, अरियों के दिल दहलाए हैं।

हँसकर वे गए यही कहकर, मिल- जुलकर अब रहना भाई 
सब रहें सुरक्षित इसीलिए, खुद सीने पर गोली खाई

हम उनको भूल नहीं सकते, सब ऐसा भाव जगाए हैं
भारत के वीर सपूतों ने, अरियों के दिल दहलाए हैं ।

रचनाकार -उपमेंद्र सक्सेना एड०
         'कुमुद -निवास'
  बरेली (उत्तर प्रदेश)
 मोबा.-98379 44187

 (आकाशवाणी रामपुर से प्रसारित रचना)

   21
11 Comments

Chetna swrnkar

17-Aug-2022 08:20 PM

Nice

Reply

Seema Priyadarshini sahay

17-Aug-2022 06:27 PM

बेहतरीन रचना

Reply

Mithi . S

17-Aug-2022 06:49 AM

Nice

Reply