shweta soni

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उम्मीद

क्यों निराश हो रहा है ऐ मन 

क्यों खुद को दुखी कर रहा 

ये निराशा बड़ी , खुद गर्ज है । 
आशा को ऐ मन , ये आने नहीं देती ‌।

ऐ मन , ना निराश हो ना दुःखी हो 
तू बस इतना कर , एक उम्मीद की किरण से 
तू निराशा को दूर कर । 

उम्मीद से ही तो , सब कुछ कायम है
उम्मीद ना हो तो , निराशा का ही आगमन हैं ।


# लेखनी 
# दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता

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8 Comments

Pankaj Pandey

19-Aug-2022 07:38 AM

Behtarin rachana

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Mohammed urooj khan

18-Aug-2022 11:15 AM

बहुत खूबसूरत 👌👌👌बात कही आपने कविता के माध्यम से

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Behtar likha hai 💐

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