Mamta tiwari

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बैरंग




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बैरंग आया बेरंगी बारिश में भींगा खत 
इत्र तर गुलाबी लिफाफे किये दस्तखत
मेरा ही दिल वापस किया था पढ़े बिना 
दस्तूर ए इश्क निभा मिली होगी राहत।

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 जिंदगी के फलसफे समझ आ जाये गर
थम जाएंगे कारवां करेगा कोई क्यू सफर
लुफ्त ए जिंदगी अनजान रास्तों चलने में है
जिंदा रहने है तो कोई उसूल पे नजर न कर

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 अभी ला पिला शाकी बंदगी की
अभी उम्र बाकी है जिंदगी की
करे थोड़े और इबादत हम
रहे जोर जब तक तिश्नगी की

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होते रहो बेशक बेहिसाब बेसबब नाराज 
बेख्याली में उल्फत की एक और अंदाज
पैरों पटकना अकड़ना तुनकना ठूमकना
बेखबर कत्ल कर गये बेख़ंजर ही आज

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जाने ही वाले थे महफ़िल से की वो आ गये
कुछ कह न सके हम और वो कुछ सुना गये
यूं बयाँ किये की क्या कहते और क्यो कहते
निगाहें मिली भी नही थी और हम शरमा गए

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मंजूर हो दिल को कब जहाँ को रास आते है
नाम रखते है गुलो पर जमाना काँटे चुभाते है
रुसवा हो बेवफ़ा बन जिंदा दफना मोहब्बत 
सूरते सनम देखने  खुद पे चिलमन लगाते है

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तेरे पास तो फिर भी मैं हूँ मेरे पास तो मैं भी नही..!!
लाजमी है खुशी तेरी इधर तो माकूल शै भी नही...!!
छोड़ दे कैसे सरोकार दरम्यान ये गुल  गुलशन के
दर ओ दीवार अंदर  ताजगी ओ नमी तै भी नही.. !!

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आब आफताब का
नूर ए हुश्न जनाब का
शायर ए कलम से दूर
चेहरा है गुलाब का

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आँखो ले महफ़िल
शराब की है झील
जिंदा गजल देख के
उतरा कश्ती ए दिल

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हकीकत है कि ख्वाब
छलकता हुआ शबाब
नजर ए धोखा तौबा
सूरत है या माहताब

ममता✍️

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7 Comments

Pankaj Pandey

19-Aug-2022 09:02 AM

Nice

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Teena yadav

18-Aug-2022 09:05 PM

Very nice 👍

Reply

Mohammed urooj khan

18-Aug-2022 05:52 PM

वाह क्या कहने है 👌👌👌👌

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