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कहानी---जन्माष्टमी


जन्माष्टमी पर विशेष ः कान्हा और कुम्हार

भगवान कृष्ण की बहुत सारी कहानियां भरी पड़ी है। जितने  उनके रूपनिराले हैं उतनी ही उनकी कहानियां भी हैं 
वैसी ही एक कहानी है 
कान्हा और कुम्हारर की ।
आइए जानते हैं कान्हा और कुम्हारर की क्या कहानी है ?

बचपन में नंदलाल बहुत ज्यादा मिट्टी खाते थे ।उन्हें मिट्टी से बहुत प्रेम था ।
वह उतने ही नटखट थे ।आए दिन उनकी शिकायत कभी गोपियों से कभी गांव की महिलाओं से उनकी माताजी यशोदा मैयाको मिलता रहता था।

एक बार ऐसे ही किसी बात पर यशोदा मैया कान्हा जी से परेशान हो गई तो वह उन्हें पीटने के लिए दौड़े ।
कान्हा जी भागने लगे।
 भागते भागते इधर-उधर छिपते रहे । कभी वृक्षों के पीछे तो कभी किसी गुफाओं में लेकिन यशोदा मैया नहीं रुकी और उनके पीछे भागते रही ं
 भागते भागते कृष्ण भगवान एक कुम्हारर के पास पहुंचे ।
कुम्हारर के पास दिव्य दृष्टि थी। वह कान्हा को पहचानता था ।
उसने मुस्कुराकर कहा
,, आइए भगवान आपका स्वागत है।,,

 कान्हा ने जल्दी से कहा
,, कुम्हारर भाई, हमें जल्दी से छुपा लो नहीं तो अपनी मैया से पीटेजाएंगे।,,
 कुम्हारर ने उनसे कहा 

,,आओ मैं तुम्हें घड़े में छुपा देता हूं।,, यह काकर कुमार ने कान्हा को घड़ी में छुपा दिया।

 जब जब यशोदा मैया उधर आईं तो उन्होंने कुम्हारर से पूछा 
,,तुमने कान्हा को देखा है?,,
 कुम्हारर मुस्कुरा कर बोला
,, नहीं मैया हमने तो नहीं देखा।,,

यशोदा मैया वापस लौट गई ।उसके बाद कान्हा जी कुम्हारको बोले 
,,हमारी मैया चली गई हमको बाहर निकालो ।,,कुम्हार बोला
,, नहीं पहले आप हमको वचन दीजिए ..।
कान्हा बोले
,, कैसा वचन?,,

 कुम्हार ने कहा
 पहले आप हमें 8400000 योनियों से मुक्ति का वचन दीजिए ।,,

कान्हा जी
,, बोले ठीक है जाओ मैंने तुम्हें वचन दिया तुम्हें 8400000 योनियों से मुक्ति मिल जाएगी ।अब तो हमें बाहर निकालो।,,

 कुम्हारर ने कहा 
,,नहीं कान्हा जी ऐसे नहीं हम अकेले थोड़ी हैं ।हमारा पूरा परिवार है। हमें अपने पूरे परिवार के साथ 8400000 योनियों से मुक्ति दिला इए।,,

कान्हा जी खुश हो गए ।
,,बोले ठीक है जाओ ।हमने तुम्हारे पूरे परिवार को माया मोह बंधन से मुक्त कर दिया। अब हमें बाहर निकालो ।

कुम्हार बोला
,, नहीं प्रभु जी अभी नहीं ।यह जो  घड़ा जिसने आप को बचाया है वह उसकी मिट्टी हमारे बैलों ने ढोया है तो उन बैलों को भी सभी जन्मों से मुक्त कर दो ।,,

कान्हा जी बोले

,, चलो जाओ। हमने बैलों को भी मुक्त कर दिया। अब तो बाहर निकाल दो ।,,

कुम्हार बोला 

,,नहीं-नहीं अभी एक और विनती है। हमारी उसे पूरा कर दो फिर हम आपको बाहर निकालेंगे ।,,

कान्हा जी बोले 
अब क्या है कुम्हार जल्दी बताओ?,,
,, कान्हा कुम्हार ने कहा
,, जो हमारी यह कहानी को सुनेगा उसे भी सभी जनों से सभी जन्मों के बंधन से और 8400000 योनियों से मुक्ति दिला दीजिए ।
फिर मैं आपको घड़ी से निकालता हूं।,,

 कृष्ण भगवान जोर से हंस पड़े।
बोले
,, चलो यह भी तुम्हारा वचन मैंने पूरा किया अब तो बाहर निकालो ।
कुम्हार ने उन्हें बाहर निकाला।
 फिर उनके उनका पाद प्रक्षालन किया और उनकी आवभगत की।
 कुम्हार की भक्ति से भगवान प्रसन्न हो गए और उन्हें ढेर सारा आशीर्वाद देकर चले गए। 

***
सीमा
#लेखनी दैनिक कहानी प्रतियोगिता

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10 Comments

Pankaj Pandey

22-Aug-2022 02:14 PM

Very nice 👍

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Madhumita

21-Aug-2022 03:54 PM

शानदार

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Chetna swrnkar

21-Aug-2022 12:44 PM

Very nice

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