क्षणिकाएं

क्षणिकाएं - 

                 1
तारीख
दो ही याद रही उम्र भर ,

एक उससे मिलने की 
और दूसरी बिछड़ने की ।

                    2
पुरूष ने अगर
सही होती प्रसव पीड़ा ,

तो वह हथियार नहीं
खिलौने बनाता ।

                 3
उधर 
वो चूमती है तस्वीर ,

और इधर
चुंबन अंकित हो जाता है
मेरे माथे पर ।

                4
प्रेम में होना
किसी के लिए नदी होना है ।

            5
प्रेम में
वह जमीं , 
मैं आसमान रहा ,

न क्षितिज के इस पार
आ सकीं वह,
और न मैं
क्षितिज के उस पार जा सका ।

                        6
उसको खोकर
न मैं बुद्ध बन पाया ,

और न मुझे खोकर
वह यशोधरा बन पायी ।

                    7
पुरुष दुख देख कर
बुद्ध बन गया,

स्त्री दुख सहकर भी 
स्त्री ही रही ।

                   8
ईश्वर को
नहीं देखा किसी ने ,

मैंने भी नहीं !

इतना जानता हूं पर,
ईश्वर भी मां जैसा होता है ।

                    9
मृत्यु 
जीवन का अंत नहीं ,

खूबसूरत शुरुआत है
अगले सफ़र की ।

                  10
जिस दिन
इंसान बंद कर देगा 
किताबें पढ़ना ,

वह दिन
कयामत का होगा ।।

                  --- -- - बलजीत गढ़वाल 'भारती '
20/08/२०२२

# प्रतियोगिता हेतु 

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12 Comments

Pankaj Pandey

22-Aug-2022 01:33 PM

Behtarin rachana

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Seema Priyadarshini sahay

22-Aug-2022 09:22 AM

बेहतरीन

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Chetna swrnkar

21-Aug-2022 12:11 PM

Behtarin rachana

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