मेरी कविताएं और बचकानी क्षणिकाएं पढकर आप बोर हो जाते होंगे, चलो आज कुछ अलग करते है, आज पढि़ए मेरी लघुकथा - "#तरस " ,
तरस
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"चल भाग जा यहां से, वर्ना धक्के मारकर सड़क पर फिकवा दूंगा । स्साला भिखमंगा कहीं का। चल भाग ।" एक भिखारी मुख्य चौराहे पर भीख मांगता था, ओर आज वह ढाबे वाले से रोटी के एक बासी टुकड़े के लिए गिड़गिड़ा रहा था और ढाबे वाला उसे प्रताड़ित कर रहा था।
मुझे उस भिखारी पर बड़ा #तरस आया। अपनी प्लेट से दो रोटी उठाकर मैंने भिखारी को थमा दीं। ढाबे के बाहर बैठकर वह रोटी कुतरने(खाने ) लगा । ढाबे वाला दुबारा अपने काम मे जुट गया। कुछ ही देर हुई थी कि एक पुलिस वाला आ धमका। उसे देखते ही ढाबे वाला का चेहरा ऐसा हो गया, जैसे हलाल होते समय बकरे का होता है ।
"चल बे, तीन आदमियों का बढिया - सा खाना पैक कर दे। ओर देखना, रोटी जली हुई या अधपकी न हो। और सब्जी खूब मसालेदार बनाना। नही, खैर नहीं तुम्हारी। "
ढाबे वाला कांपते हाथों से मगर बहुत ही ऐहतियात से रोटी - सब्जी बनाने लगा। जब वे बनकर तैयार हो गई तो पुलिस वाला बिना दाम दिए ही उन्हें लेकर चलता बना। ढाबे पर बैठा हर एक आदमी ढाबे वाले के बिना कुछ कहे ही बहुत कुछ समझ गया था। भिखारी दूर खड़ा मुस्कुरा रहा था ।
अब मुझे ढाबे वाले पर #तरस आ रहा था ।
--- -- - बलजीत गढवाल 'भारती '
आँचल सोनी 'हिया'
22-Aug-2022 06:39 PM
Sundar
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Pankaj Pandey
22-Aug-2022 01:27 PM
Bahut khub
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Seema Priyadarshini sahay
22-Aug-2022 09:17 AM
बहुत खूबसूरत
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