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औकात!


कहां समझता है कोई जज्बात को
यहां तो हर बात पर लोग, याद करते हैं औकात को

सब मिलकर उखाड़ने में लग जाते हैं गड़े मुर्दे
गिनाते अपने एहसान सारे, सुनाते हैं उसी बात को।


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