रिश्तों की राजनीति- भाग 20
भाग 20
अभिजीत अपने परिवार सहित जगताप पाटिल के घर रविवार शाम को सात बजे खाने पर पहुँच जाता है। जगताप पाटिल, उनकी बेटी सिद्धि और बेटा अक्षय उनके स्वागत के लिए पहले से ही मौजूद होते हैं। औपचारिक बातचीत के बाद जगताप पाटिल अभिजीत के बाबा महेश सावंत से कहते हैं….हम आपकी बेटी सान्वी को अपने घर की बहू बनाना चाहते हैं।
महेश सावंत हाथ जोड़कर कहते हैं….यह आपका बड़प्पन है जो हमारे जैसे साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से अपने बेटे का रिश्ता जोड़ना चाहते हैं।
जगताप पाटिल सान्वी की तरफ देखते हुए कहते हैं….आपकी बेटी के असाधारण व्यक्तित्व के कारण ही हमने उसे बहु के रूप में चुना है।
आप सान्वी से पहले मिल चुके हैं?
हाँ, कुछ दिन पहले ही सान्वी और अभिजीत मुझसे मिलने आए थे, हो सकता है बच्चे भूल गए हों इस बारे में आपको बताना?
नहीं-नहीं, अभिजीत ने बताया था मुझे, मैं ही भूल गया। लगता है उम्र अपना असर दिखाने लगी है।
देखिये, मैं सीधी बात कहने में विश्वास रखता हूँ। हम जितनी भी कोशिश कर लें लेकिन आपकी बराबरी नहीं कर पाएंगे।
शादी के खर्चे को लेकर आप चिंतित न हो, हम सब सम्भाल लेंगे और वैसे भी हमें कुछ नहीं चाहिए। हम चाहते हैं यह विवाह सादे तरीके से हो, कुछ करीबी रिश्तेदारों के बीच।
यह बात सुनकर जहाँ महेश सावंत, उनकी पत्नी और अभिजीत के चेहरे पर खुशी छा जाती है, वहीं सान्वी के चेहरे पर उदासी छा जाती है। उसने सोचा था उसकी शादी इतने धूमधाम से होगी कि बड़े-बड़े सेलिब्रिटी उसकी शादी में आएंगे, वो डिज़ाइनर लहँगा, महंगी ज्वेलरी पहनेगी, लेकिन जगताप पाटिल की सादे तरीके वाली शादी ने उसके सपनों पर पानी फेर दिया था।
खाना खाने के बाद सिद्धि सान्वी की ओटी (नारियल और साड़ी देना) भरती है। जगताप पाटिल एक सोने का हार और कुछ रूपए शगुन के तौर पर सान्वी को देते हैं।
अभिजीत के बाबा अक्षय को इक्यावन सौ रुपये शगुन के तौर पर देते हैं। इस तरह अक्षय और सान्वी का रिश्ता तय हो जाता है। पन्द्रह दिन बाद की दोनों की शादी होना तय होता है जगताप पाटिल के करजत वाले फार्म हाउस पर।
सान्वी नहीं चाहती थी उसकी शादी करजत वाले फार्म हाउस में हो, लेकिन इस समय उनकी बात मानने के अलावा कोई और रास्ता भी नहीं था।
अभिजीत और उसके परिवार के जाने के बाद सिद्धि ख़ुशी से अपने बाबा के गले लगकर कहती है…..मुझे तो यकीन ही नहीं था कि आप इतनी जल्दी अक्षय और सान्वी की शादी के लिए मान जायेंगे और आपने बात भी कितनी अच्छी तरह की उनसे, मन खुश हो गया देखकर। मेरे बाबा दुनिया के सबसे अच्छे बाबा हैं।
बस-बस इतनी तारीफ मत कर। कल सान्वी को अपने साथ शॉपिंग पर ले जा। उसे शादी के लिए साड़ियां दिलवा देना। अब जाकर सो जा। मुझे भी नींद आ रही है।
सिद्धि के जाने के बाद अक्षय अपने बाबा से कहता है…..मुझे आपसे बात करनी है।
ठीक है, कमरे में चलकर बात करते हैं।
कमरे में….
आप सान्वी को इस घर की बहू क्यों बनाना चाहते हैं?
इसलिए कि मेरा बेटा उससे प्यार करता है।
बाबा आप बेकार की बातें मत करिए, मुझे सच जानना है।
सच यह है कि तूने जो कांड किया है, उसकी वजह से मुझे यह कदम उठाना पड़ रहा है।
तू नहीं समझ पायेगा, तेरी शादी के पीछे की राजनीति। सान्वी से अच्छा व्यवहार रख, वो लड़की काम की है।
बाबा, उसकी शक्ल के अलावा ऐसा भी कुछ खास नहीं है सान्वी में।
उसकी खासियत मैं समझ चुका हूँ। हैरानी की बात है, तुझे अभी तक समझ नहीं आयी।
तू फ़िक्र मत कर, अपने बाबा की राजनीति पर भरोसा रख।
ठीक है बाबा, आपकी जैसी मर्ज़ी। आपकी राजनीति मेरी समझ से बाहर है। मैं सोने जा रहा हूँ।
अक्षय के जाने के बाद जगताप पाटिल खुद से कहते हैं…..मुझे पता है राजनीति तेरे बस की बात नहीं है, इसलिए तो सान्वी से तेरी शादी करवा रहा हूँ।
अभिजीत का परिवार भी जगताप पाटिल की सहृदयता से काफी प्रभावित होता है। उन्हें लग रहा होता है उनकी बेटी के भाग खुल गए जो इतने बड़े घर में उनकी बेटी की शादी हो रही है। अभिजीत के बाबा को लग रहा होता है कि जगताप पाटिल उतना भी बुरा इंसान नहीं, जितना उन्होंने सोचा था।
जब अभिजीत के करीबी रिश्तेदारों तक यह खबर पहुँचती है तो उनके दिल धक से रह जाते हैं। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा होता इस खबर पर। उधर शरवरी का दिमाग अपने घोड़े दौड़ा रहा होता है। उसे लग रहा होता है कि कहीं सान्वी ने जगताप पाटिल के बेटे अक्षय के साथ शादी से पहले कुछ कांड तो नहीं कर दिया, जिसकी वजह से जगताप पाटिल शादी के लिए राजी हो गया हो और वैसे अभिजीत ने भी तो कहा था कि वो कुछ व्यक्तिगत परेशानियों में उलझा हुआ है और अपनी शादी से पहले सान्वी की शादी करवाने पर अड़ा हुआ था। खैर जो भी हो, उसके रास्ते का कांटा तो निकल चुका है। अब तो अभिजीत से उसकी शादी आसानी से हो जायेगी।
शॉपिंग के लिए अभिजीत और सान्वी, सिद्धि और अक्षय साथ जाते हैं। सिद्धि उन्हें पुणे की सबसे महंगी दुकान में ले जाती है, जहाँ अभिजीत और सान्वी की खूब आवभगत होती है। सान्वी का दिल ख़ुशी के मारे ज़ोर से उछल रहा होता है। साड़ी पसन्द करने में अक्षय उसकी मदद कर रहा होता है।
सिद्धि , अक्षय और सान्वी को एक साथ खुश देखकर सुकून महसूस कर रही होती है, तभी अभिजीत कहता है…. दोनों कितने अच्छे लग रहे हैं न एक दूसरे के साथ, मन को असीम सुख मिल रहा है दोनों को खुश देखकर।
आपने तो मेरे मन की बात कह दी अभिजीत, मैं भी यही सोच रही थी।
सिद्धि जी आप भी अपने लिए साड़ी क्यों नहीं खरीद लेतीं?
आप मुझे सिद्धि कह सकते हैं, वैसे भी अब तो हमारे परिवारों के बीच रिश्ता जुड़ने जा रहा है।
आप मेरी मदद करेंगे साड़ी पसन्द करने में? मैं दोनों लव बर्ड्स को परेशान नहीं करना चाहती।
हाँ-हाँ, क्यों नहीं…
सिद्धि और अभिजीत की पसंद एक जैसी होती है। जो सिद्धि को पसंद आता है, वही अभिजीत को भी।
वो अभिजीत को भी कहती है कुर्ता-पायजामा लेने के लिए, लेकिन वो मना कर देता है। वो चुपके से उसके लिए कुर्ता-पायजामा ले लेती है और सान्वी के कपड़ों के साथ पैक करवा देती है।
एक तरफ जहाँ अभिजीत सिद्धि की खूबसूरती, अच्छे व्यवहार से प्रभावित होता है, वहीं सिद्धि भी अभिजीत की सादगी से प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाती।
❤सोनिया जाधव
Chetna swrnkar
24-Aug-2022 11:48 AM
Nice
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Seema Priyadarshini sahay
24-Aug-2022 07:52 AM
बहुत खूबसूरत
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Mahendra Bhatt
23-Aug-2022 11:07 PM
👏👌🙏🏻
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