Add To collaction

ज़िंदगी





है जिसकी ज़िन्दगी में यहाँ बे-शुमार ग़म,
करते है बस उसी ये यहां ऐतबार ग़म।

यूँ तो नहीं है ग़म मुझे की तू नहीं मिला,
मगर इस बात पे ही है मुझे कई हज़ार ग़म।

पर्वर्दे-तूफां इंसां है अब मेरी शख्सियत,
देते है मुझको इक दिशा परवरदिगार ग़म।

तुझसे भले तो ग़म है तेरे जो मेरे पास है,
हर लम्हा ख़िदमतों में है ये ख़ाक़सार ग़म।

तेरे वस्ल से इन्हें कुछ तो क़रार आयेगा,
वरना यूँ ही जायेंगे मर सब बीमार ग़म।

तारिक़ अज़ीम 'तनहा'

   15
7 Comments

वाह लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब

Reply

shweta soni

24-Aug-2022 12:45 PM

Nice 👍

Reply

Chetna swrnkar

24-Aug-2022 11:55 AM

Nice

Reply