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लालसा

*ग़ज़ल*
विषय - " लालसा "
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दिल की बातें दिल में न रहने दो जरा ,
रहे ना टीस , लबों पर आने दो जरा ।

उम्मीदों के पालने में पल रही दुनियाँ ,
हसरतों को मेरी भी , मचलने दो जरा।

ख्वाहिशों के जो मोती बना लिए है मैंने ,
बस एक लड़ी में उनको , पिरोने दो जरा ।


ना डर दिखाओं उनके टूट जाने का,
ख़ाबों को ऑखों में , सजने दो जरा।

ना जकड़ों मुझे दर्द की जंजीरो से ,
खुल के आज मुझे , हँसने दो जरा।

मुश्किल से आसां होना चाहता है " गौतम ",
हूँ में क्या , मुझको अभी समझने दो जरा ।
 

*गौतम वशिष्ठ*

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10 Comments

Mithi . S

26-Aug-2022 03:10 PM

Very nice

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Khushbu

24-Aug-2022 05:50 PM

शानदार

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Chetna swrnkar

24-Aug-2022 11:13 AM

Nice

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