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गुजरे वक्त के जमाने



विधा- ग़ज़ल


गुजरे वक्त के वो जमाने नहीं मिलते ,
जो बीते वो दिन सुहाने नहीं मिलते ।

जुबां पे लगे हैं , खामोशियों के ताले ,
करू जो बयां वो फ़साने नहीं मिलते ।

हर मुकाम मुड़ - मुड़ देखे है दिल , 
जहाँ मिले सुकूंन वो ठीकाने नहीं मिलते ।

कुव्वत थी जिनमे खुद को मिटाने की ,
ढूंढे से भी अब वो दीवाने नहीं मिलते ।

छाई है फ़लक पे , काली घटा इस कदर ,
के दिनों में दिनों के वो उजाले नहीं मिलते ।

दूसरों  को बहलाते रहे जो उम्र भर गौतम 
जो उनको बहलाये अब वो बहाने नहीं मिलते ।

               ( गौतम वशिष्ठ )


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11 Comments

Mithi . S

26-Aug-2022 02:46 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

25-Aug-2022 03:50 PM

बहुत खूबसूरत

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Pankaj Pandey

25-Aug-2022 02:17 PM

Behtarin rachana

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