Rekha khichi

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लेखनी प्रतियोगिता -26-Aug-2022

गर्भ से लेकर समाज तक 

कभी तिरस्कारित की जाती है
तो कभी सम्मानित की जाती है
इन बेटियों पर हमेशा सवाल किए जाते है

जन्म के वक्त ही अगर खुशियां मना लें
बिटिया आई है मेरे घर- आंगन ये जता लें
उन्हें घर की आन - बान - शान मान लें 
जब जन्म से ही बेटियों को खुशनसीबी समझी जाएगी
तब शायद नारी को सच्ची आज़ादी मिल जाएगी


हर एक नारी का अपना ही महत्वपूर्ण योगदान है,
सभी ने अपनी - अपनी जगह किए कई बलिदान है
इक नई ज़िंदगी को जन्म देकर भी,
कभी नहीं जताती वो महान् है
ये सफर नारी का आसान नहीं,
फिर भी उसके चेहरे पर मुस्कान है

ना जाने उसके हिस्से क्यों आया अपना - पराया किस्सा
वो पढ़ना चाहती थी, आगे भी बढ़ना चाहती थी
फिर भी उस लड़की को बांध दिया जाता है
तोड़ - मरोड़ के बंधनों में बांध दिया जाता है
वो दौड़ना चाहती थी, ऊंची उड़ान भी भरना चाहती
तब भी उसे बेड़ियों में जकड़ दिया जाता है
उस मासूम से सपनों को चकना - चूर किया जाता है
आख़िर क्यों उसकी लड़ने वाली आवाज़ को दबा दिया जाता है
कुछ इस तरह से एक नारी को मार दिया जाता है

अपमान के लायक तो नहीं वो, 
फिर क्यों उसका मान नहीं होता
इक नारी के जज़्बातों का क्यों सम्मान नहीं होता
आख़िर कब तक नारी पे अभिमान नहीं होगा।
Rekha khichi 
#प्रतियोगिता

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16 Comments

Behtarin rachana

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Chetna swrnkar

27-Aug-2022 08:43 PM

Nice

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shweta soni

27-Aug-2022 07:32 PM

Nice

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