Madhu Arora

Add To collaction

कर्जदार

कर्जदार
कर्जदार कोई बने, वक्त उस पर हंँसे।
देखो कर्ज उतारते  घर में रोटी ना पके।

मजबूरी में आकर कर्ज लिया किसी ने,
 सूदखोर तो देखो सूद पर सूद  यहांँ धरे।
 
 फायदा उठाएं देखो बड़ा मजबूरी का,
 ऐसी मजबूरी से घर अपना बड़ा करें।
 
 खून चूसे गरीबों का धनी और धनी बने,
 सरकार भी कर्ज ना दे बिचारा क्या करें।
 
 मजबूरी कर्ज दिलाती है दर-दर हमें घूमाती है,
 कभी बीमारी कभी पढ़ाई शादी कर्ज दिलाती है।
 
 मध्यम वर्गीय इंसान रहता सदा परेशान
 किसी से ना कह पाए अपने मन का हाल।
 
 जितना रोज कमाता है वह भी कम पड़ जाता है,
 उलझन में रहता सुबह शाम घर की मांग करे परेशान।
 
 तभी लेता है कर्ज का नाम रस्ता ना दिखे सुबह शाम,
 चैन अपनाना गिरवी रखना कोशिश तुम सदा यह करना।
 
 जितनी चादर उतने पांव पसारना।
 कर्ज में जब डूबा इंसान कर देता है गलत काम।
                                रचनाकार ✍️
                                मधु अरोरा
                                26.8.2022
# दैनिक प्रतियोगिता हेतु

   23
13 Comments

Chetna swrnkar

27-Aug-2022 08:42 PM

Nice

Reply

shweta soni

27-Aug-2022 07:30 PM

Behtarin rachana

Reply