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लेखनी प्रतियोगिता -26-Aug-2022

चाँद और तुम

हो सकता है छुपा उन काले बादलों में,
तेरा साया भी छुट न जाए मेरे हाथों से।

वैसे तो हर किसी का अपना चाँद अपना आसमां है,
मुझे न दिखा शायद आज अमावस का चाँद है।

सिर्फ काला साया है इस काली रात में,
ना तारे, ना चाँद है मेरे साथ में।

बदलते रहे है चेहरे उस चाँद के,
रखूं करीब मेरे, डोर से बांध के ।

ये बादलों का साया ही है आशियां मेरा,
तुम यूं चाँद तारों सा रोशन करते रहना।

चल गर न पाओ तुम साथ मेरे,
संग मेरे नदियों सा यूं ही बहते रहना।

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11 Comments

Bahut khub

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shweta soni

27-Aug-2022 07:35 PM

Behtarin rachana

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Punam verma

27-Aug-2022 09:10 AM

Very nice

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