लेखनी कहानी प्रतियोगिता -26-Aug-2022 खतरनाक खेल
खतरनाक खेल
यह कहानी मेरी सखी अन्नपूर्णा की है, वह मेरे पड़ोस में ही रहती थी।उसने अपने घर में ही एक कमरे में एक बुटीक खोल रखा था, वह कपड़ों को सेल भी किया करती थी, और सिलाई भी। उसका पति बेरोजगार था।
हारी बीमारी होने पर पैसे की किल्लत घर में कलह का वातावरण बना देती। बेचारी अन्नपूर्णा बहुत होशियार और समझदार थी, परन्तु कितना करे।
एक दिन अचानक तीन चार लड़के डॉक्टर के भेष में उसके बुटीक पर आए, और उन्होंने उससे कहा... कि हम गवर्नमेंट की तरफ से आए हैं ,और सर्वे कर रहे हैं ....जो लोग मध्यमवर्गीय हैं, अपने इलाज कराने में असमर्थ हैं। उनका इलाज फ्री होगा, तो हमको कुछ जानकारी चाहिए।
अन्नपूर्णा को वह सभ्य लगे, सो उसने अपने घर में बैठाया अपने पति के साथ बैठकर कुछ बातचीत की। और वह कार्ड बनाकर देने का वादा कर चले गए। तीन दिन बाद उनमें से एक लड़का फिर आया,नमस्कार किया। मैंने पूछा.... कार्ड बन गया। तो वह बोला . कि नहीं अभी नहीं, मैं तो इधर किसी काम से आया था।
तो आप से भी मिलने चला आया। कार्ड बन जाएगा तो मैं आपको देने आऊंगा। अभी हमारा इधर काम चल रहा है, इसलिए मैं आता रहूंगा। फिर वह चला गया। तीन-चार दिन बाद वह लड़का फिर आया और बोला कि अभी आपका कार्ड बन नहीं पाया है। जैसे ही बनेगा मैं आपको कार्ड देने आ जाऊंगा।
और इस तरह उसने काफी जान पहचान बना ली थी, एक दिन वह बुटीक पर आया,और उसने अन्नपूर्णा से कहा.... कि आप ऐसा करिए कुछ कपड़े मुझे दिखा दीजिए। मैं अपने घर ले जाऊंगा। अपनी बहनों को और मम्मी को दिखा दूंगा। जो बोलेंगे उनका पैसा आपको दे दूंगा और बाकी आपको वापस कर जाऊंगा।
अन्नपूर्णा उसकी बातों में आ गई, और उसने छः सलवार सूट के कपड़े उसको दे दिए। देने से पहले उसके घर का एड्रेस लिखा, फोन नंबर तो पहले से ही था। कपड़े लेकर जब वह चला गया, वैसे ही अन्नपूर्णा का माथा ठनका,वह समझ गई कि आज वह ठगी जा चुकी है।
उसने उसके नंबर पर कॉल लगाया परंतु उसने कॉल नहीं उठाया जबकि पहले जब भी फोन लगाओ तो तुरंत कॉल उठाता था। जब उसने फोन नहीं उठाया, तो अन्नपूर्णा की हालत खराब होने लगी। परंतु वह इस ठगी के बारे में अपने घर में किसी को नहीं बता सकती थी। घर में बताते ही तो सब उस पर आग बबूला होते, और वह खुद भी बहुत परेशान थी।अगले दिन अन्नपूर्णा ने बहुत हिम्मत जुटा कर अपनी स्कूटी उठाई और जो एड्रेस वो लिखवा कर गया था। उस एड्रेस पर अकेली ही पहुंची। परन्तु यह क्या? उस पर पहुंचने के बाद पता लगा कि वह गलत एड्रेस लिखवा कर गया था। अब उसे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि वह ठगी जा चुकी है। लगातार उसको कॉल लगाती परंतु कोई कॉल का जवाब नहीं मिलता।
उस नंबर पर कई बार बात भी हुई थी। इसलिए एड्रेस गलत निकलने पर अन्नपूर्णा स्कूटी उठाकर बीएसएनएल के ऑफिस पहुंची। वहां जाकर उसने थोड़ा दिमाग लगाकर उसके नंबर का एड्रेस पता करना चाहा ।
भाग्य ने थोड़ा उसका साथ दिया। और किसी ने उससे यह कहा- कि नीचे चले जाओ और विजय से एड्रेस ले लो। कंपनी वाले भी किसी को किसी का ऐसे एड्रेस नहीं देते हैं। मैं नीचे पहुंची देखा.... कि काउंटर पर कोई महिला बैठी हुई है, अन्नपूर्णा ने थोड़ा दिमाग और लगाया और उस महिला से विजय के बारे में ऐसे पूछा... जैसे विजय उसका रिश्तेदार हो। उसने कहा- मैडम विजय कहां है? कर्मचारी महिला ने कहा- आपको नहीं पता..... विजय आज छुट्टी पर है.......अन्नपूर्णा ने थोड़ा सा झूठ बोलते हुए कहा- कि हां.... उसने बताया तो था, पर मैं भूल गई। एक छोटा सा काम था, मैम.... आप ही कर दीजिए।
अन्नपूर्णा के कहने पर पहले तो मैडम झल्ला गई, फिर विजय के नाम की वजह से मैडम ने कहा .. आप बैठ जाइए। मैं देखती हूं। थोड़ी देर बाद कर्मचारी महिला ने कहा.. नंबर दीजिए ,मैं एड्रेस देती हूं। नंबर अन्नपूर्णा ने पहले से कागज पर लिख रखा था। उसने वह कागज आगे बढ़ाया और उसने उस पर उसका सही एड्रेस लिखकर अन्नपूर्णा को दे दिया। अन्नपूर्णा ने धन्यवाद ज्ञापित किया, और जल्दी से वहां से निकली।
और उस एड्रेस पर चल पड़ी, उसके मन में तो एक ही बात चल रही थी कि कैसे भी उसका पता लग जाए ......और उसका सामान वापस मिल जाए । किसी भी खतरे से अनजान दस किलोमीटर गाड़ी चला कर वो उसके उस एड्रेस पर पहुंची। जो टेलीफोन डिपार्टमेंट से मिला था।
घर पर उसका नाम लिखा हुआ था। उसने बैल बजाई.... तो कोई बाहर नहीं आया।
उस लड़के का नाम अभिनव था। अन्नपूर्णा ने जोर से आवाज लगाई। अभिनव ...अभिनव.... अंदर से एक औरत की आवाज आई। उसने कहा- अभिनव घर पर नहीं है। अन्नपूर्णा ने कहा जो कपड़े लेकर आया था, वह आपको पसंद आ गए। उस बूढ़ी औरत ने जवाब दिया, कि हां पसंद आ गए। इस बात से यह निश्चित हो गया। यह घर भी उसी का है, और वह कपड़े भी घर पर लाया है।
अन्नपूर्णा ने कहा- कि वह कहां गया है? उसकी मां ने कहा -वह घर पर नहीं है। अन्नपूर्णा गुस्से में लाल हो रही थी।उसने बहुत चिल्ला कर कहा -कि जैसे ही वह आता है, उससे कहना.... जहां से वह कपड़े लाया है। पैसे देकर आए.....नहीं तो बहुत बुरा होगा।
इतना कहकर अन्नपूर्णा उसके पास में खड़ी एक महिला से बात करने चली गई। और उसने अभिनव के बारे में सब पता कर अपनी पूरी बात भी बताई।
बात करके अन्नपूर्णा अपने घर लौट रही थी। थोड़ी ही दूर स्कूटी से पहुंची थी,कि उतने में ही उस लड़के का फोन आ गया। उसमें अन्नपूर्णा को फिर से फुसलाने की कोशिश की। अरे मैम!आप तो परेशान हो गई। मैं कोई ऐसा व्यक्ति थोड़ी हूं, मैं आपका पैसा दे दूंगा।
अन्नपूर्णा बहुत गुस्से में थी, उसने कहा- 15 दिन से तुम फोन नहीं उठा रहे हो, हम को गलत एड्रेस लिखा कर गए हो। उसके बाद तुम हमको बातें पढ़ा रहे हो। वह उस पर फोन पर ही चिल्लाई और कहा- कि चुपचाप आकर मेरे पैसे दे जा...... नहीं तो मुझसे बुरा होगा कोई नहीं. अन्नपूर्णा की आवाज सुनकर वह घबरा गया और सोचने लगा,कि बिना एड्रेस के जो औरत मेरे घर तक पहुंच गई है। इससे बच पाना मुश्किल होगा। और बोला मैम मुझे थोड़ा टाइम दीजिए,मैं 2 दिन में आकर आपका पैसा देता हूं। अन्नपूर्णा फिर चिल्लाई..... ठीक है, तू दो दिन में आकर मेरे पैसे दे जाना। नहीं तो सोच लेना...... मैं तेरा क्या हाल करूंगी।
अंदर से डरी हुई अन्नपूर्णा ऊपर से हिम्मत दिखाती, खतरों का सामना करते हुए उसका पता लगाने में कामयाब हुई।
परंतु उसके कपड़े या पैसे तो अभी भी वापस नहीं मिले थे।वह बहुत चिंतित थी,लेकिन वह अन्नपूर्णा की डांट से इतना डर गया था। कि दो दिन बाद खुद आया और अन्नपूर्णा को पैसे देकर माफी मांगी। अन्नपूर्णा ने आगे ऐसा न करने की हिदायत देकर उसको छोड़ दिया। वह तुरंत ही वहां से चला गया।
अन्नपूर्णा भी उसे रोकना नहीं चाहती थी।क्योंकि यह पूरा वाकया अन्नपूर्णा के घर में कोई नहीं जानता था। बच्चे और अन्नपूर्णा के पति घर पर सोए हुए थे। अगर वह जान पाते तो प्राब्लम बढ़ जाती।
आज भी अन्नपूर्णा उस बात को याद करके डर जाती है।
अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।
Renu
28-Aug-2022 03:54 PM
👍👍
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शताक्षी शर्मा
28-Aug-2022 06:38 AM
Bahut khub 👌
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Chetna swrnkar
27-Aug-2022 08:31 PM
Nice 👍
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