हां आजाद हैं हम
हां आजाद है हम,
तन से तो आजाद हो चुके हैं,
पर मन से कब आजाद होंगे हम ।
बाहरी दुश्मन को तो परस्त कर दिया,
स्वयं मे बसे दुश्मन पर कब फतेह पायेंगे हम।
अपने साथ होने वाले अंग्रेजों के जुल्म तो दिख जाते थे,
समाज के साथ होने वाले जुल्म कब देखेगे पायेंगे हम।
दिलो में बसे लालच, झूठ,नफरत,स्वार्थ से कब ,
खुद को मुक्त कर पायेंगे हम।
मानते है भगत सिंह को सब,
पर अपने सुखो की आहुति दे,
देश हित को कब सर्वोपरि मान पायेंगे हम ।
ढूंढते फिरते हैं इमान सबमें,
खुद के गिरहबान मे कब झांक पायेगें हम।
देखना है भारत मे हर जगह ईमानदारी को,
मगर खुद मे लालबहादुर कब जिन्दा कर पायेंगे हम ।
बातें करते हम नारी सम्मान की,
आखिर कब अकेली औरत को,
निर्भया होने के डर से मुक्त करा पायेंगे हम ।
नारे लगाते हम स्त्री के अधिकारों के,
कब इन अधिकारों को कागज़ तक ही नहीं,
अपनी सोच मे भी ला पायेंगे हम ।
जाते हैं दूसरे मुल्क तो तारीफ करते थकते नहीं,
अपने मुल्क को कब विदेशों सा बना पायेंगे हम ।
वाह वाह करते वहां के नियम और कानून की,
मगर अपने देश मे बने नियमों को कब सम्मान दे पायेंगे हम।
अपने दिल मे घर कर गये भ्रष्टाचार के दीमक से,
अपने ही देश की जड़े हिलने से कब बचा पायेंगे हम ।
हर साल रावण का पुतला जलाते हम,
मगर मन में बसे वासना के दुश्शासन को कब मार पायेंगे हम ।
सपना देखते आसमान को छूने का,
कब धरती पर अपने पांव कलाम की तरह मजबूत बना,
आकाश की बुलन्दियों को छू पायेंगे हम ।
इसीलिए कहती हूं,
तन से तो आजाद हो चुके,
मन से कब आजाद होंगे हम।
Swati chourasia
14-Aug-2021 08:58 PM
Wow very beautiful 👌👌
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Renu Singh"Radhe "
14-Aug-2021 08:13 PM
बहुत खूब
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Niraj Pandey
14-Aug-2021 07:23 PM
बहुत खूब👌
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