अतीत की चाभियाँ
यूं तो सबको एक दिन जाना है
दुनिया को छोड़कर
पर कोशिश करूंगा भरपूर
ईश्वर से हाथ जोड़ विनती कर
लाऊंगा ला सका अगर
अतीत की चाभियाँ
जाऊंगा लौटकर बचपन में
मां के पास जब वो बीमार थी
मुझे बुला रही थी सर दबाने को
और मैं भाग गया था जल्दी थी
दोस्तों के साथ खेलने जाने की
जाकर उनकी सेवा करूंगा
और फूटकर रोऊंगा
माफी मांगूंगा हालांकि मुझे
उनसे माफी नहीं चाहिए।
जाऊंगा पिताजी के पास जब
उनकी जेब से पैसे निकाला था
बिना पूछे और पिताजी जो नई
चप्पल लेने जा रहे थे नहीं ले सके
पर मुझे कुछ नहीं कहा और दो माह
पुरानी टूटी चप्पल पहनते रहे
और मैं उनसे सच न कह पाया
यद्यपि वो सब जानते थे।
जाऊंगा छोटी बहन के पास
जब गुस्से में उसकी प्यारी गुड़िया
मैंने दूर फेंक दी थी और वो
सो गई थी रोते रोते बिना खाये
मैं भी न सो सका था पर
उससे सच कहने की हिम्मत न
कर पाया था।
जाऊंगा पिताजी के पैसे और
बहन की गुड़िया रखकर वहीं वापस
और देखूंगा उनको नई चप्पल उसी दिन
पहने हुए और पुरानी फेंक दूंगा
और बहन को प्यार से खुद खिलाकर
सुला कर वापस आ जाऊंगा चाभियाँ
लौटाने अतीत की।
यूं तो कई चीजें बदलना चाहता हूँ
पर कहा जायेगा मैं पाप के
दण्ड से बचना चाहता हूँ
पर नहीं मुझे सजा का डर नहीं
अफसोस नहीं
और कहीं अतीत में मुझको
मैं मिल गया तो उसकी
मुझसे खैर नहीं।
अंशुमान द्विवेदी
प्रतियोगिता 28.8.२२
मौलिक
shweta soni
31-Aug-2022 12:08 PM
Behtarin rachana
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Punam verma
29-Aug-2022 09:20 PM
Very nice
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Anshumandwivedi426
29-Aug-2022 08:22 PM
सभी श्रेष्ठजनों को हृदयतल से धन्यवाद
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