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लेखनी प्रतियोगिता -30-Aug-2022 जादू की झप्पी

शीर्षक= जादू की झप्पी


सुषमा जी कहा रह गई जल्दी कीजिए आपको पता है ना आज हमारे बेटे शशांक के लिए कितना बड़ा दिन है। आज उसे बरसो की जी तोड़ मेहनत का सिला मिलने जा रहा है।

आज तो गर्व से कहूंगा कि मैं शशांक का पिता हू और आज तो उसे जोरो से जादू की झप्पी दूंगा। सुषमा जी पति सुभाष अरोड़ा जी ने कहा गाड़ी की तरफ जाते हुए


"आ गई, आप तो सवेरे से ही घर सर पर उठाए हुए है ऐसा लग रहा है कि आई ए एस हमारा बेटा नही बल्कि आप बन रहे है " सुषमा जी ने कहा


"ठीक कहा भाग्यवान, जो काम मैं खुद ना कर सका सिर्फ एक मामूली सा चपरासी बन कर रह गया वो काम जब अपने बेटे के हाथो होता देख रहा हू तो मानो ऐसा लग रहा है की मैं ही आई ए एस बन रहा हू, आज मैं कितना खुश हू बता नही सकता । मेरा बेटा मुझसे बहादुर निकला जो हार के बाद भी कामयाब हो गया और एक मैं था जो पहली हार में ही निराश हो कर चपरासी की नोकरी पर लग गया था "सुभाष जी और कुछ कहते तब ही सुषमा जी बोल पड़ी

ये सब आपकी ही बदौलत हो पाया अगर आप हर मुश्किल घड़ी में उसे एक प्यारी सी जादू की झपकी देकर अपने सीने से ना लगाते तो शायद आज वो भी आपकी ही तरह निराश हो कर या फिर आपके घर वालो की तरह हम भी उसकी एक हार पर उसकी काबलियत का अंदाज़ा लगा कर उसे नाकारा कह कर उसका मनोबल गिराते तो आज वो भी आपकी तरह ही किसी चपरासी या दरोगा की ड्यूटी ज्वाइन कर लेता और इस सिस्टम को सुधारने का जो सपना उसने देखा था वो धरा का धरा रह जाता लेकिन आज वो आई ए एस बन गया  है 

"चलो अब बातें तो होती रहेंगी हमारा बेटा इंतज़ार कर रहा होगा, जल्दी गाड़ी में बैठो ताकि समय से पहुंच जाए " सुभाष जी ने कहा गाड़ी में बैठते हुए ।


थोड़ी देर बाद वो अपने बेटे से जा मिले, वहाँ बहुत से लोग एकत्रित थे बड़े बड़े सरकारी अधिकारी और भी ना जाने कौन कौन।


आज वो सब लड़के लड़कियां अपने माता पिता से मिल रहे थे ट्रेनिंग ख़त्म करने के बाद सब के चेहरों पर एक अलग ही जज्बा और मुस्कान नज़र आ रही थी।



थोड़ी देर बाद सब लोग वहाँ पड़ी कुर्सीयो पर बैठ गए । और जितने भी लड़के लड़कियां वहाँ ट्रेनिंग ले रहे थे  उन्हें मंच पर  बैठाया गया  और साथ में बहुत सारे उच्च अधिकारी भी वहाँ उस मंच पर मौजूद थे ।


मंच पर खड़ा एक शख्स जिसके हाथ में माइक था  वो बारी बारी वहाँ बैठे ट्रेनिंग ले कर आईएएस बन चुके लड़के लड़कियों को बारी बारी मंच पर बुला रहे थे  और उन्हें सम्मानित किया जा रहा था और उनसे दो बोल मंच पर बोलने को कहा जा रहा था ।

नीचे बैठे लोग तालिया बजा रहे थे । धीरे धीरे करके शशांक का नाम भी पुकारा गया और वो मंच पर आता है ।


वो बेहद खुश था  उसके हाथ में माइक देकर अपनी इस सफलता के राज़ को बताने के लिए दो बोल बोलने को कहा गया।


शशांक  बहुत ही नर्वस हो रहा था , तब ही सामने बैठे उसके पिता ने उसे हौसला दिया।


शशांक की आँखे नम थी  उसने अपनी ख़ामोशी को तोड़ते हुए और अपनी सफलता के आंसुओं को बहने से रोकते हुए बोला " सबसे पहले यहाँ बैठे सब लोगो को मेरा प्रणाम, मैने तैयारी तो बहुत की थी मंच पर बोलने की लेकिन मैं इतना खुश हूँ की मैं भूल बैठा हूँ की क्या कहना  है ।

लेकिन फिर भी मैं यही कहूँगा  की मैं आज यहाँ इस मंच पर खड़ा  अपने आई ए एस बनने के सपने को पूरा कर पाया हूँ तो उसका श्रय सिर्फ और सिर्फ मेरे माता पिता को जाता है , भले ही मेहनत मैने की रातो को जाग जाग कर पढ़ाई की लेकिन फिर भी सारा श्रय मेरे माता पिता को ही जाता है , अगर वो ना होते तो आज शायद मैं कभी इस मक़ाम तक ना पहुंच पाता।और शायद बहुत से बच्चों की तरह पहले दूसरी हार में ही हार मान जाता और कोई या तो प्राइवेट जॉब कर लेता नही तो छोटी मोटी सरकारी नौकरी पकड़ कर उसी में लग जाता।


लेकिन मेरे पिता ने जो हौसला मुझे दिया मेरी हर एक हार के बाद, उनकी वो जादू की झप्पी  जो मुझमे दोबारा लड़ने का हौसला भर देती।


मुझे आज भी याद है  कि जब दिनों रात मेहनत करके, पैसा पानी कि तरह बहा  कर पढ़ाई पर , कोचिंग पर  फिर भी मैं एसएससी का एग्जाम पास नही कर पाया था वो पल मेरे लिए बहुत ही मुसीबत भरा पल था  जब इतनी मेहनत करने के बाद भी  सफलता हाथ नही लगी थी ।


मुझे डर था कि जब माँ पिताजी मेरी इस हार के बारे में सुनेंगे तो ना जाने क्या कुछ कहेँगे जो अक्सर हम लड़को को पहली दूसरी हार के बाद सुनने को मिलती है  तुम नाकारा हो, तुमने सिर्फ दिखावे कि मेहनत करी  असल मेहनत करते तो पास हो जाते, तुमने बाप का पैसा पानी कि तरह उड़ा दिया, कोचिंग में सिर्फ अय्याशी कि तुम कुछ नही कर सकते तुम नाकारा हो एक दम, तुम्हारा भविष्य एक दम अंधकार से भरा होगा।


मुझे भी लगा था कि मेरे पिता भी यही सब कुछ कह कर मेरा मनोबल गिरा देंगे जिसके बाद मैं या तो कोई प्राइवेट जॉब पकड़ लूँगा नही तो किसी दरोगा या फिर चपरासी कि भर्ती में लग जाऊंगा।


लेकिन जब पापा को पता चला उनके रिश्तेदारों से की मैं पास नही हो सका  एसएससी में, मुझे डर था की पापा बहुत गुस्सा करेंगे  लेकिन मेरा सब डर हौसले में जब बदल गया  जब पापा पास आये और मुझे ज़ोर से गले लगा कर एक जादू की झप्पी दी और मेरे आंसू साफ करते हुए बोले " कोई बात नही बेटा ज़रूरी तो नही की हमें सफलता  एक ही बार में मिल जाए, वो मंजिल ही क्या जिसका रास्ता परेशानियों और असफलता  के रोड़े से होकर ना गुज़रे  मंजिल पर पहुंचने का मज़ा तो जब ही है  जब रास्ते की हर एक रूकावट को हौसले के साथ पार करके पंहुचा जाए।

बेटा कोई बात नही तुम दोबारा कोशिश करना और इस बार पहले से ज्यादा मेहनत करना क्यूंकि  असली सफलता मेहनत मांगती है  और तुम अपना मनोबल ना गिराओ जबकी दोबारा उठ खड़े हो क्यूंकि गिर कर उठने वाले को ही खिलाडी कहते है क्यूंकि हर एक चोट उसके अंदर एक नया हौसला और ऊर्जा भर देती है  "


अपने पिता के मुँह से इस तरह की बातें सुन मैने भी उन्हें अपने गले से लगाया  और वायदा किया की इस बार मैं पहले से ज्यादा मेहनत करूंगा  और जब तक अपने हौसले टूटने नही दूंगा जब तक की इस परीक्षा को पास नही कर लूँगा ।और देखिये आज मैने अपनी मंजिल हासिल कर ली ये सब मेरे पापा की उस जादू की झप्पी का ही असर है जिसने मुझ हारे इंसान का मनोबल गिरने से बचा लिया।


मैं बस यही कहना चाहूंगा की इंसान को अपनों के सप्पोर्ट की ज़रुरत जब नही होती जब वो जीत जाता है  उसे असली सप्पोर्ट या फिर जादू की झप्पी की जरूरत जब होती है  जब वो मेहनत करने के बाद किसी इम्तिहान में असफल हो जाता है  तब उसे सप्पोर्ट की ज़रुरत होती है  खास कर अपने माता पिता की क्यूंकि वही है  जो अपने बच्चें का मनोबल बड़ा भी सकते है  उसे दोबारा लड़ने के लिए  नही तो उसकी पहली असफलता देख कर ही उसके अंधे  भविष्य का अंदाजा लगा कर उसका मनोबल गिरा कर  जिसके बाद वो टूट जाएगा या तो अपनी जिंदगी ख़त्म कर लेगा नही तो टूटे हुए मनोबल के साथ अपनी ज़िन्दगी की गाड़ी को धक्का देने की कोशिश करता रहेगा ।


मैं बहुत भाग्यशाली था  जिसे ऐसे माता पिता मिले जो उसकी सफलता में तो साथ थे ही बल्कि उसकी असफलता में भी उसके साथ खड़े रहे और जब जब मुझे एक ऐसी झप्पी की जरूरत थी जो मेरा मनोबल बड़ा देती मेरे अंदर कुछ करने का उत्साह पैदा कर देती तो वो झप्पी मुझे मेरे पापा ने दी जो शायद किसी जादू की झप्पी से कम ना थी  जो ख्वाब कभी उनकी आँखों ने देखा था  आई ए एस बन देश की सेवा करने का लेकिन उनकी पहली हार और घर वालो ले तानो ने उनका मनोबल गिरा दिया था  फिर वो ख्वाब उन्होंने मेरी आँखों में सजोया  और हर एक हार पर वो मेरे साथ खड़े रहे की कही मैं भी खुद को नाकारा या अय्याश समझ कर  कुछ गलत कदम ना उठा कर अपनी ज़िन्दगी अंधकारमय बना लू।


बस इतनी सी थी मेरी सफलता की कहानी जिसमे हर एक असफलता पर मुझे मेरे पापा की जादू की झप्पी ने हौसला दिया और आज मुझे आई ए एस बना कर ही छोड़ा 


ये सब कहते हुए शशांक की आँखों से आंसू छलक आये  वहाँ बैठे सब लोग कुछ देर के लिए शांत हो गए  क्यूंकि वो कही ना कही  शशांक की बातों से मुतासिर हो गए थे ।

उसके माता पिता की आँखों से भी आंसुओं का झरना बह रहा था  खासकर  उसके पिता की आँखों से क्यूंकि उनकी एक जादू की झप्पी जो उन्होंने अपने बेटे को दी उसकी हर एक छोटी बड़ी असफलता पर  आज उसकी वजह से उनका बेटा इस मक़ाम तक पहुंच गया  अगर सालों पहले उसके माता पिता ने भी  उसकी एक हार पर  उसे भिन्न भिन्न नामो से ना पुकारा होता, उसे भी एक जादू की झप्पी दी होती और उसका मनोबल और उत्साह बढ़ाया होता उसकी तुलना दूसरों से ना की होती तो आज वो भी किसी अच्छी पोस्ट पर होता।


शशांक के लिए सब ने तालिया बजायी ।

सुभाष जी ने शशांक को गले लगा कर  रोते हुए एक प्यार की झप्पी दी और गाड़ी में बैठा कर घर आ गए  हस्ते मुस्कुराते



प्रतियोगिता हेतु लिखी कहानी  

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8 Comments

Achha likha hai aapne 🌺🙏

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Renu

31-Aug-2022 03:20 PM

👍👍

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Abhinav ji

31-Aug-2022 07:35 AM

Very nice👍

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