Champa rautela

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कविता

मेरे  शब्द थोड़े सहम गए हैं, 

ना जाने व्याकुल मन  में कहा सिमट गए हैं, 
खामोश हैं कहीं भाव में भावुक हो गए हैं, 
निकट हैं माला शब्दों की, 
पर व्याख्यान से दूर हो गए है, 

कहीं ख़ुद को ढूंढते, 
कहीं बेचैनी को गले लगाते, 
खुद ही दवा लिख, 
नया घाव बन जाते, 

मेरे शब्द थोड़े  सहम गए हैं, 
चिट्ठी में लिखे शब्द को सच्च मान गए है, 




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6 Comments

Radhika

09-Mar-2023 12:56 PM

Nice

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Behtarin rachana

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Very nice 👍🌺

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