लेखनी कहानी प्रतियोगिता -31-08-2022 वर्षा की बूंदें

वर्षा की बूंद

रामपुर नाम का गांव था। गांव में अधिकांश लोग कृषक ही होते हैं। गांव में लोगों का रोजगार कृषि ही होता है। और कृषि को उचित देखभाल और सिंचाई की दरकार होती है। परन्तु गांव में कुछ अमीर लोग होते हैं,उनको सिंचाई की चिंता नहीं होती। क्योंकि उनके पास पर्याप्त साधन होते हैं। ट्यूबेल होता है, बोरिंग करा लेते हैं। जिसकी वजह से उनकी कृषि में सिंचाई का काम सुचारू रूप से चलता रहता है।परंतु गरीब किसान तो बारिश की बूंदों का ही इंतजार करता है। भगवान से दुआ करता है, कि बारिश हो जाए तो उसके खेत में सिंचाई हो जाए और उसकी फसल की अच्छे ढंग से पैदावार हो जाए।
बारिश होने का इंतजार सबसे ज्यादा  किसान को ही रहता है, क्योंकि उसे अपने खेत को बचाना होता है। पैदावार को बचाना होता है, खेत को सूखने नहीं देना होता है। बारिश अच्छी हो जाती है, तो किसान का ह्रदय फूला नहीं समाता। और उसके खेत की पैदावार अच्छी हो जाती है, जिससे उसके घर में परिवार में खुशियों की बरसात होती है।जो बारिश की बूंदों की वजह से ही होती है। किसान का प्यार तो बारिश की बूंद है, परिवार से हो, या खेत से हो उन बारिश की बूंदों में ही उसका जीवन बसा हुआ होता है। उसी से उसकी रोजी-रोटी चलती है। उसी से उसके बच्चों का पेट भरता है ,इसलिए किसान हर समय ही बरसात की बूंदों का इंतजार करता है।और भगवान से प्रार्थना करता है, कि भगवान समय-समय पर बारिश होती रही, जिससे कि सभी किसानों के लिए अच्छा वातावरण रहे ,उनकी खेती में पैदावार हो उनका परिवार खुशहाल रहे।
रामू बरसात का इंतजार करते करते थक गया था । बाकी सभी किसान भी भगवान से दुआएं कर रहे थे, कि भगवान अब तो बारिश कर दीजिए। बिना बारिश के उनके खेत सूखे जा रहे थे‌ मन में निराशा घर करती जा रही थी। सभी मिलकर भगवान से दुआ करते। एक दिन रामू की बेटी ने भगवान के मंदिर में जाकर प्रार्थना की। और वहीं बैठ कर उसने प्रण किया, कि भगवान जब तक बरसात नहीं होगी मैं यहां से नहीं उठूंगी। उसे तपस्या पर बैठे तीन दिन बीत गए थे,उसकी हालत बिगड़ने लगी थी, सभी गांव वाले परेशान थे। बेटी की ऐसी दशा देखकर रामू भी परेशान हो गया। पर भगवान थे, कि टस से मस नहीं हो रहे थे, सभी बरसात की उम्मीद लगाए।भगवान से प्रार्थना कर रहे थे। एक दिन गुजरा, 2 दिन गुजरा,3 दिन गुजर गए। पर रामू की बेटी ने ना कुछ खाया ना पिया। उसका एक ही संकल्प था कि जब बारिश होगी तभी वह पानी पिएगी। 

अब भगवान भी इतने निष्ठुर कैसे हो सकते हैं। एक कन्या उनके प्रण में बैठी हुई है, स्थिति लगभग अकाल जैसी होती जा रही थी। खेत सूखने पर चल पड़े थे।  सभी किसान बहुत परेशान थे। पर रामू की बेटी की तपस्या से प्रसन्न होकर इंद्रदेव मजबूर हो गए। और काली घटाएं घिर आई, चारों तरफ अंधेरा छा गया। सभी के मन में आशाओं के फूल खिलने लगे। 
पर रामू की बेटी थी, कि चुपचाप मंदिर में बैठी तप कर रही थी। इन सभी चीजों से अनजान क्योंकि आंखें बंद होने के कारण उसे एहसास नहीं हो रहा था। तभी एक हवा का झोंका उसके कानों तक आया ऐसा लगा जैसे भगवान ने आकर कहा - कि तुम्हारी तपस्या पूर्ण हुई, उठो बाहर जाकर देखो। बारिश हो रही है इतना शब्द में आते ही। जोरदार बिजली कड़कने की आवाज हुई, और उस बिजली के साथ ही वर्षा की बूंदे धरा पर टप टप रिमझिम गिरने लगी थी‌।
 वर्षा की बूंदों की रिमझिम रिमझिम आवाज जब रामू की बेटी के कान में पड़ी, तो उसका मन प्रसन्नता से झूम उठा। उसने आंखें खोली और देखा, कि वर्षा रानी उसकी धरा पर बरस रही है। प्यासी धरा सुगंधित हो उठी। वर्षा की बूंदे ज्योंही धरा पर पड़ी धरा से खुशबू बिखरने लगी थी , जिसके कारण सभी के मन प्रमुदित हो गए थे। वर्षा की बूंदों से सराबोर हो  रामू की बेटी ने भगवान का धन्यवाद किया और हाथ जोड़कर अपनी तपस्या पूर्ण होने जल का पान किया। वहां से उठी सभी ने रामू की बेटी को देवी समझ कर उसका उपकार माना और आज के बाद सब उसे भगवान इंद्र की  बेटी कहने लगे थे, क्योंकि गांव में वर्षा उसी की वजह से हुई। अभी सब लोग वर्षा का आनंद ले रहे थे, पूरा गांव बरसा में नहा रहा था। क्योंकि वह तो वर्षा के लिए तरस रहे थे,यह वर्षा की बूंदे उनके लिए अमृत के समान थी। उनके खेत लहलहा उठे । सभी के मन खुशियों से भर गए। और जो निराशा थी वह आशा में बदल गई। यह आशा तो वर्षा की बूंदों से ही मिली थी। इस तरह उस गांव में सभी की खेती में पैदावार हुई।
और सभी नारी नर बरसात  में नहाकर बहुत ही खुश हुए, उनके तन मन सभी प्रफुल्लित हो रहे थे ,और सभी गांव वाले वर्षा के बूंदों से सराबोर हो चुके थे। उनके साथ उनका मन भी सराबोर हो चुका था। यह सब रामू की बेटी का कमाल था। सभी ने उसको बहुत-बहुत धन्यवाद दिया और वह भी उठकर वर्षा में जाकर नहाने लगी और भगवान को शुक्रिया अदा किया। जय इन्द्र देव।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।

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12 Comments

Behtarin rachana 🌸👍

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नंदिता राय

01-Sep-2022 09:36 PM

बहुत खूब

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