Madhu Arora

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कुलबुलाहट

विषय  कुलबुलाहट
 कविता विधा स्वतंत्र
 
 फोन हाथ में देख मेरे ,
 पति को हुई कुलबुलाहट ।
 क्या प्रिय जब देखो ,
 फोन पर होती है फुसफुसाहट ।
 थोड़ा समय हमें भी दे दो,
 क्यों फोन में आंखें हो खोती ।
 इतने मैसेज इतने फोन ,
 रातों को भी  सो ना पाती ।
 आज से रातों को ना जगने दूंगा 
 किसी और से बातें ना करने दूंगा ।
 पत्नी को हुई कुलबुलाहट ,
 बोली प्रिय जब मैं कहती थी।
  तब होती थी तुम को चिड़चिड़ाहट ।
  फोन मेरा अब यू लेने पर ,
  क्यो तुमको हुई कुलबुलाहट।
                  रचनाकार ✍️
                  मधु अरोरा 
                 3.9.2022
  

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9 Comments

Supriya Pathak

30-Sep-2022 01:25 AM

Bahut khoob 💐👍

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Palak chopra

29-Sep-2022 10:23 PM

Acha 🌺💐

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Gunjan Kamal

29-Sep-2022 08:12 PM

बहुत खूब

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