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लेखनी प्रतियोगिता -05-Sep-2022 शिक्षक

ज्ञान का प्रकाश पुंज है शिक्षक 


अंधकार की छाया घनेरी फैली
गुरु प्रकाश पुंज बनकर आए
मन के हर कोने का अंधियारा
पल भर में ही दूर करने आए हैं

भ्रम का जाला जो पाँव पसारे
साधना से गुरु मिटाने चले हैं
सागर मध्य फँसी है जो नैय्या
उसको किनारे ले जाने के हैं

स्वयं दीपक की भाँति जलते हैं
हमको सच्ची राह दिखाने वाले हैं
सत्कर्मों का भान कराकर हमको
गुरु मंजिल तक पहुँचा जाते हैं

स्वरचित एवं मौलिक रचना

   अनुराधा प्रियदर्शिनी
   प्रयागराज उत्तर प्रदेश


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7 Comments

Ajay Tiwari

06-Sep-2022 06:08 PM

Very nice

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Abhinav ji

06-Sep-2022 07:12 AM

Nice

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लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब रचना अच्छी है किन्तु रचना में समतुकांतता लाने की कोशिश करिए

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