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लेखनी प्रतियोगिता -07-Sep-2022 औरत की आकांक्षा

 शीर्षक :-=स्त्री की आकांक्षा

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स्त्री की सबसे बडी़ आकांक्षा होती है उसका भी सम्मान हो।
 उसका हर जगह दूसरौ की तरह मान हो आत्म सम्मान हो।।
आकांक्षा होती है  उसे ससम्मान जीने का अधिकार आजाए।
जब भी वह रूठे उसे भी  कोई अपना मनाने को आगे आए।।
उसकी मांग के सिन्दूर की भी रक्षा करने कोई तो आगे आए।
कभी कभी बच्चौ जैसा प्यार करने को कोई भी अफना आए।।
उसके भी लाल कपोल गालौ को प्यार भरे हाथौ से सहलाऐ।
चम्पी करने के बहाने से उलझे हुए बालौ को कोई  सुलझाए।।

आज की दैनिक कविता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
07/09/2022





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14 Comments

Supriya Pathak

09-Sep-2022 12:08 AM

Achha likha hai 💐

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Renu

08-Sep-2022 08:49 PM

Nice

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Reena yadav

08-Sep-2022 04:10 PM

👍👍

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