लेखनी प्रतियोगिता -08-Sep-2022
बुरा मान जाती है ।
ज़िक्र होता है जो तेरा बातों में, ख्वाबों में,
और अब ज़िक्र न करूं तो यादें बुरा मान जाती है ।
एक इशारे पर टूट जाया करते थे सितारे तेरी ख्वाहिशों के लिए,
और अब तारीफ ना करू तो चाँद बुरा मान जाता है ।
मंज़िल पर पहुंच कर मंज़िल की ही बातें किया करते है,
और अब जो गुजरू उनसे तो रास्ते बुरा मान जाते है ।
एक जिंदगी में तेरे संग गुजारूं ज़िक्र यहीं रहता है,
और अब न हो साथ तेरा तो सांसें बुरा मान जाती है ।
Ajay Tiwari
09-Sep-2022 04:19 PM
Nice
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
09-Sep-2022 09:12 AM
Wahhh अद्भुत
Reply
Abhinav ji
09-Sep-2022 08:43 AM
Nice
Reply