Saurabh Patel

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09-Sep-2022 जन एकता की भाषा हिंदी- रचना ९


हम सोए नहीं रात भर जिस के लिए 
वहीं पूछने लगे ये रातों को जागना किस के लिए

हमें देखकर जिसने खिड़की बंद कर ली
इतफाक उसीके ग़म हमने दिल खोल के लिए

इसे चाहत कहे कमजोरी कहे या बेवकूफी 
हमने मुहब्बत के सबक भी मुहब्बत कर के लिए

ए वक्त जिस्म का ये कैसा इस्तमाल है 
अब ये भी एक रास्ता है जान पहचान बढ़ाने के लिए

ये पूछकर उसने मासूमियत कि सारी हदें पार कर दी 
"सौरभ" ये शायराना अंदाज आखिर किस के लिए।

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13 Comments

दूसरी लाइन में वहीं की जगह वही होगा जी

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उत्कृष्ट,, उत्तम, सर्वोत्तम

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Saurabh Patel

16-Sep-2022 09:51 PM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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Suryansh

15-Sep-2022 07:43 PM

बहुत ही उम्दा

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Saurabh Patel

15-Sep-2022 08:40 PM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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