Vipin Bansal

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गुरु

कविता‌ ‌‌=‌ ( गुरु )

उंगली पकड़कर चलना !
हमको दिया सिखाएं !!
मात - पिता सर्वप्रथम गुरु !
जो जग में लेकर आए !!

घर पाठशाला सर्वप्रथम !
संस्कार जहां से पाए !!
रिश्तों की परिभाषा !
घर से ही सीखी जाए !!

दूजे गुरूवर ज्ञान के !
जो दुनिया हमें दिखाएं !!
किताबी ज्ञान बांचकर !
ज्ञान शिखर तक लाए !!

गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु !
गुरूर देवो महेश्वरा कहलाए !!
गुरू चरण कमल रज पाकर !
जीवन सफल हो जाए !!

अंगूठा काट दे दिया !
गुरू ऋण चुकाए !!
गुरु- शिष्य का ऐसा रिश्ता !
अब नज़र न आए !!

विपिन बंसल

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9 Comments

बहुत ही उत्कृष्ट सृजन

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Ajay Tiwari

11-Sep-2022 09:27 AM

Nice

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Abhinav ji

11-Sep-2022 08:39 AM

Nice

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