लेखनी
लेखनी
रातों को जब नींद नहीं आती,
करवट बदल सारी रात गुजरती।
भावों का समुंद्र उमड़ने लगता,
धीरे-धीरे भाव सेहजती ।
कागज पर उन्हें उकेरेती,
कागज से बातें कर मुझको,
सुकून बड़ा है आता।
अपने मन की हर व्यथा,
कह उससे शांत सी हो जाती ।
सुख दुख का साथी मेरा,
सब व्यथा सुन जाता है।
भागो का सारा उद्वेग,
खुद में समा जाता है।
प्यार मेरा पाकर लेखनी,
खुश बहुत हो जाती है।
गुस्से में आने पर ,
ज्वलन्त शब्द सह जाती हैं।
बातें मेरी सब समझे,
हालात मेरे वह सब जाने।
और किसी की क्या कहूंँ,
हर बात मेरी को पहचान ।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
#नान स्टाप प्रतियोगिता हेतु
नंदिता राय
01-Oct-2022 09:44 PM
Nice
Reply
Supriya Pathak
30-Sep-2022 01:06 AM
Achha likha hai 💐
Reply
Gunjan Kamal
29-Sep-2022 08:12 PM
शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻
Reply