Saurabh Patel

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१२- जन एकता की भाषा हिंदी- रचना १२


वो लौटकर आए तो कुछ बात बने
चांद सितारों से नहीं दिखे उसका साया तो रात बने

है अगर वो समझदार तो छोड़ दे सारी समझदारी
वफादार ना सही कम से कम हमारे लिए कमबख्त बने

बाकी सारे ख़्वाब देखना छोड़ देंगे तेरी कसम
अगर तुझे फ़िर से पाने का ख़्वाब हकीकत बने

बस इतनी सी तो चाहत रखी है हमारे दिल ने
कि फकत तेरी ही चाहत इस दिल की राहत बने 

अगर जूठ से भी शुरु हो सकता है रिश्ता हमारा "सौरभ"
तो भी कोई बात नहीं मुहब्बत जब चाहे तब सियासत बने।

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11 Comments

मेरे ख्याल से जूठ की जगह झूठ होना चाहिए

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Wahhhh बहुत ही खूबसूरत रचना

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Saurabh Patel

16-Sep-2022 09:54 PM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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Suryansh

16-Sep-2022 06:56 AM

बेहतरीन

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Saurabh Patel

16-Sep-2022 09:14 AM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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