Vipin Bansal

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हिन्दी

कविता = ( हिन्दी )

अमृत महोत्सव भी बना लिया !
सीना गर्व से फूला लिया !!
हर घर तिरंगा फहरा लिया !
आज़ादी नगमा गुन गुना लिया !!
हम हुए आज़ाद !
सोच बीमार हुई है !!
अपनी मातृभाषा अपने ही हाथों !
आज शर्मसार हुई है !!
अपने ही घर में देखो !
आज मेहमान हुई है !!
हिन्दी आज ग़ुलाम हुई है !
हिन्दी आज ग़ुलाम हुई है !!

ब्रिटिश हुकूमत को भगा दिया !
अंग्रेजी कल्चर अपना लिया !!
ऊँचा उठने की चाहत !
जड़ों को अपनी हिला दिया !!
हिन्द दरख़्तों की शांख पर !
ब्रिटिश फल लगा दिया !!
सफलता की सीढ़ी अंग्रेजी !
हिन्दी क्यों अभिशाप हुई है ?
सरकारी महकमों में अंग्रेजी !
माई बाप हुई है !! 
हिन्दी आज ग़ुलाम हुई है !
हिन्दी आज ग़ुलाम हुई है !!

कुरुक्षेत्र में ज्ञान बताया !
श्रीमद्भगवद्गीता में ब्रह्माण्ड समाया !!
अमृत बन बरसी वाणी !
महर्षि वेदव्यास जी ने लिखी कहानी !!
वेद शास्त्र रचे जिससे भ्राता !
संस्कृत से जन्मी हिन्दी भाषा !!
गंगा सी शीतल पावन वाणी !
क्यों अपवित्र आज हुई है ? 
हिन्द की यह अमृत वाणी !
क्यों ज़हर हुई है ?
हिन्दी आज ग़ुलाम हुई है !
हिन्दी आज ग़ुलाम हुई है !!

हम हिन्द हिन्दी हमारी !
यह पहचान न मिटे हमारी !!
आओ करें जंग की तैयारी !
हिन्दी का परचम आओ लहराए !!
इसका खोया स्वाभिमान लौटाएं !
आओ इसको घर वापस लाएं !!
सभी भाषाओं का सम्मान करें !
मातृभाषा सबसे पहले इसका ध्यान करें !!
श्री कृष्ण मुख से निकली जो अमृत वाणी !
श्रीमद्भगवद्गीता सार हुई है !!
हिन्द दिल हिन्दी धड़कन !
हिन्दी श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञान हुई है !!
क्यों फिर हिन्दी ग़ुलाम हुई है ?
क्यों फिर हिन्दी ग़ुलाम हुई है ?

विपिन बंसल

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9 Comments

Abhinav ji

14-Sep-2022 08:43 AM

Nice

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Punam verma

14-Sep-2022 07:57 AM

बहुत सुंदर

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बहुत बहुत खूबसूरत सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ

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