दोस्ती
लिखूं क्या मैं आपके लिए
प्रशंसा में शब्द नहीं हैं आपके लिए
माना आपमें अच्छाई भी हैं
और आपकी जुबान में सच्चाई भी हैं
माना सच्चाई के लिए लड़ना आदत हैं आपकी
पर किसी को परेशान करना मकसद नहीं आपका
दोस्त तो बहुत हैं,पर कुछ तो ऐसे हैं जिनकी बहुत याद आती हैं
पर अब वो हमसे नहीं मिल पाते हैं
दोस्तों से बात करना आदत हुआ करती थी
पर अब पढ़ाई के बीच आदत कहां काम आया करती हैं
लक्ष्य तो एक ही हैं मेरा आगे बढ़ना
किसी और के लिए नहीं स्वयं के लिए आगे बढ़ना
माना लक्ष्य को प्राप्त करने में बाधाएं आती बहुत हैं
पर विश्वास, मां पिताजी और अपनों का आशीर्वाद साथ हैं
माना सच्चाई का सदैव साथ दिया
परंतु अपने ही लोगों ने झुठला दिया
क्या कहूं अपने ही लोगों को
पर उन्होंने मेरे हौसले को और बढ़ा दिया
धन्यवाद हैं उन सभी का
कि उन्होंने मुझे अपनी बातों से आगे बढ़ने के लिए पुनः प्रेरित किया
Pratikhya Priyadarshini
13-Sep-2022 09:53 PM
Achha likha hai 💐
Reply
Shivam Ramtekkar
15-Sep-2022 02:55 PM
Thank you so much
Reply