V.S Awasthi

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गज़ल





गज़ल
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मैं गज़ल जब लिख रहा था 
तब नज़र उन पर पड़ी
गज़ल तो मैं लिख ना पाया
इश्क़ उनसे हो गया
इश्क़ भी ऐसा हुआ कि
कलम ना आगे बढ़ी
कलम क्या करती बिचारी
मसि खतम थी हो गई
दिल में फिर हलचल मची
तो अश्क का दरिया बना
तैरना आता नहीं था
डूबने से बच गया
जिसकी सूरत देख कर
मैं दिवाना हो गया
उन्होंने था प्यार से
एक नज़र देखा नहीं
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विद्या शंकर अवस्थी पथिक कल्यानपुर कानपुर

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3 Comments

Wahhh बहुत ही खूबसूरत लाजवाब लाजवाब लाजवाब

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Achha likha h

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Raziya bano

13-Sep-2022 10:49 PM

Shaandar

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