Sonia Jadhav

Add To collaction

रिश्तों की राजनीति- भाग 23

भाग 23
अभिजीत शरवरी को उसके घर के बाहर छोड़ते हुए कहता है…… शरवरी मुझे माफ़ कर दो, मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता। मैं सिद्धि से प्यार करता हूँ।

क्या सिद्धि भी तुमसे प्यार करती है?

पता नहीं, न मैंने प्यार का इजहार किया है, न उसने। लेकिन यह सच है कि मैंने तुमसे कभी प्यार नहीं किया। मुझे तो प्यार में कभी दिलचस्पी थी भी नहीं, लेकिन सिद्धि से मिलने के बाद सब कुछ बदल गया। जैसा उसे देखकर महसूस होता है, वैसा आज तक किसी के लिए महसूस नहीं किया।

अच्छा है अपनी बहन के नक़्शे कदम पर हो। जैसे उसने पैसे के लिए अक्षय को फंसाया, वैसे ही तुम भी सिद्धि को फंसाओ। सान्वी तो नेता बनी घूम ही रही है, लगता है अब तुम्हारी बारी है। जगताप पाटिल के बच्चों के खून से ज्यादा तो तुम दोनों भाई बहन के खून में राजनीति है।

शरवरी, पहले मुझे कहीं न कहीं अफ़सोस हो रहा था, तुमसे शादी न करने के फैसले को लेकर, लेकिन अब ख़ुशी हो रही है अपने फैसले पर। शादी तो दूर की बात है, तुम तो मेरी दोस्ती के लायक भी नहीं हो।

शरवरी मुस्कुराते हुए कहती है…… अब तो मेरे भी यही विचार हैं तुम्हें लेकर। दुआ करुँगी कि भविष्य में कभी हमारा सामना न हो एक दूसरे से।

वो गुस्से से अपने घर चली जाती है और अभिजीत अपने।

अभिजीत घर पहुँचते ही सिद्धि को फोन करता है, लेकिन सिद्धि फोन नहीं उठाती। जिसे बचपन से जानता था, उसके लिए कभी इतनी बेचैनी महसूस नहीं की थी, जितना आज सिद्धि के फोन न उठाने पर महसूस हो रही थी। दस बार कॉल कर चुका था और सिद्धि का कोई जवाब नहीं आया था। रात के बारह बज गए थे फोन का इंतज़ार करते हुए, हारकर अभिजीत सोने की कोशिश कर रहा था कि तभी सिद्धि का फोन आता है और वो कहती है…. इतनी सारी मिस कॉल, क्या हो गया?
तुम्हारी होने वाली बीवी को पता चल गया कि तुम उसे फोन करने के बजाय किसी और लड़की को दस बार फोन करते हो, तो वो नाराज़ हो जायेगी।

बेकार की बातें मत करो सिद्धि। शरवरी बचपन के खेल को सच समझ बैठी है। मैंने कभी नहीं कहा कि मैं उससे प्यार करता हूँ। मैंने उसे बता दिया है कि मैं किसी और से प्यार करता हूँ और उसी से शादी करूँगा।

अच्छी बात है, अब तुम यह बताओ कि तुमने मुझे फोन क्यों किया, वो भी दस बार।

वकील हो, अब इतनी भी नासमझ मत बनो। कुछ बातें बिना कहे भी समझ जानी चाहिए।

जैसे कि….
ओह! सिद्धि, लगता है तुम बिना सुने नहीं मानोगी, लो फिर सुनो..
मी तुझ्यावर प्रेम करतो. तू माझ्याशी लग्न करशील का? (मैं तुमसे प्यार करता हूँ, मुझसे शादी करोगी क्या?)

मी पण तुझ्यावर प्रेम करतो.  होय मी तुझ्याशी लग्न करायला तयार आहे(मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ. हाँ,मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूँ।)

अभिजीत और सिद्धि दोनों के दिल ही ख़ुशी के मारे जोरों की धड़क रहे होते हैं। रात के तीन बज जाते हैं, दोनों को बात करते हुए। फोन पर बात करते-करते दोनों को कब नींद आती है, पता ही नहीं चलता।

अभिजीत और सिद्धि की नींद प्यार होने की ख़ुशी में उड़ जाती है और शरवरी की नफरत में।

सान्वी अक्षय के साथ चुनाव प्रचार में व्यस्त होती है और जगताप पाटिल अपने, हालांकि दोनों के भाषण लिखने का जिम्मा सान्वी के सिर पर ही होता है। जगताप पाटिल और अक्षय के साथ सान्वी का नाम भी राजनीति के गलियारों में अपनी पहचान बनाना शुरू कर चुका होता है। सान्वी को भी जगताप पाटिल की पार्टी "आपली माणसे" में सदस्यता मिल जाती है। घर में सभी राजनीति के रंग में रंगे होते हैं, एक सिद्धि को छोड़कर जिसे राजनीति से कोई लेना देना नहीं होता।

एक दिन अभिजीत सिद्धि से बातों-बातों में पूछता है…..मेरी आर्थिक हालत तो तुम्हें मालूम ही है सिद्धि, मेरे छोटे से घर में शादी के बाद एडजस्ट कर पाओगी क्या?

अगर प्यार से रखोगे तो मैं सब जगह एडजस्ट कर लूँगी।

अभिजीत मुस्कुराते हुए कहता है…..प्यार की चिंता मत करो, वो तो तुम्हें इतना मिलेगा कि तुम परेशान हो जाओगी।
सिद्धि हंसते हुए कहती है….चलो देखते हैं।

अच्छा सिद्धि हंसी मजाक बहुत हो गया, तुम अपने बाबा को कब बताने वाली हो हमारे बारे में?
मैं जल्द से जल्द शादी करना चाहता हूँ तुमसे।

एक-दो दिन में सही समय देखकर बता दूँगी उन्हें। उम्मीद है जिस तरह बाबा, सान्वी और अक्षय की शादी के लिए मान गए थे, उसी तरह हमारी शादी के लिए भी मान जाएंगे।

अभिजीत कह तो देता है कि उसे भी ऐसी ही उम्मीद है, लेकिन उसका मन कह रहा होता है कि सान्वी और अक्षय की शादी के पीछे एक अलग वजह थी और अगर वो वजह न होती तो जगताप पाटिल, अक्षय और सान्वी की शादी के लिए कभी राजी नहीं होते।

रात को सिद्धि सबके खाना खाने के बाद जगताप पाटिल के कमरे में जाती है बात करने के लिए।

बाबा मुझे आपसे जरुरी बात करनी है।
हाँ बोलो सिद्धि…..

बाबा, मैं अभिजीत से प्यार करती हूँ और उससे शादी करना चाहती हूँ।

सिद्धि, अब यह अभिजीत कौन है?
बाबा, वो…..

एक मिनट रुको, कहीं यह सान्वी का भाई तो नहीं?

जी बाबा, वही है।

जगताप पाटिल गुस्से से बोलते हैं…..इनके पूरे खानदान को एक हमारा ही घर मिला है रिश्ते जोड़ने के लिए। पहले उसकी बहन ने अक्षय को बेवक़ूफ़ बनाकर फँसा लिया, अब उसका भाई तुम्हें प्यार के चक्कर में फंसाकर इस घर में घुसना चाहता है। दोनों भाई-बहन मिलकर मेरे घर को लूटना चाहते हैं। मुझे अभिजीत और तुम्हारा रिश्ता बिलकुल भी मंजूर नहीं है और इस बारे में मैं और चर्चा करना नहीं चाहता। अब तुम अपने कमरे में जा सकती हो।

सिद्धि रोते हुए अपने कमरे में चली जाती है। वो सोचती है….सान्वी अभिजीत की बहन है, वो जरूर इस मामले में उनका साथ देगी। वो सान्वी और अक्षय के कमरे में जाती है बात करने के लिए।

सान्वी, मुझे तुम्हारी और अक्षय की मदद चाहिए।

किस बारे में सिद्धि ताई?

दरअसल मैं और अभिजीत एक दूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं। मैंने बाबा से बात की थी इस बारे में, लेकिन उन्होंने साफ़ मना कर दिया है।

सान्वी यह सुनकर हैरान हो जाती है। उसे समझ ही नहीं आता कि वो क्या बोले?

अक्षय गुस्से से कहता है…..बाबा जो कह रहे हैं, ठीक कह रहे हैं।

तभी सान्वी कहती है….ताई थोड़ा वक़्त दीजिये मुझे, मैं इस बारे में बाबा से बात करके देखूंगी।

अक्षय कुछ कहने जा ही रहा होता है कि सान्वी उसे चुप रहने का इशारा करके बोलने से रोक देती है।

सिद्धि सान्वी को शुक्रिया कहकर अपने कमरे में चली जाती है।

सान्वी मन ही मन सोच रही होती है कि अभिजीत दादा की शादी तो शरवरी से होना तय थी, फिर बीच में सिद्धि ताई कहाँ से आ गईं? कहीं दादा भी मेरी तरह राजनीति में अपनी पैठ बनाने के सपने तो नहीं देख रहा?

क्या हुआ सान्वी क्या सोच रही हो और तुमने मुझे मना क्यों किया बोलने के लिए?

देखो गुस्सा मत होना, पहले मेरी बात ध्यान से सुनो….अगर सिद्धि ताई की शादी तुम लोग किसी बड़े घराने में करोगे तो पहली बात शादी बहुत धूमधाम से करनी पड़ेगी जिसमें अँधाधुंध पैसा खर्च करना पड़ेगा और ऊपर से खूब दान-दहेज़ भी देना पड़ेगा।

दूसरी बात सिद्धि ताई का स्वभाव बहुत अच्छा है, वो तो भविष्य में जयदाद में हिस्सा कभी मांगेंगी नहीं, लेकिन उनका पति मांग सकता है और अगर उसने माँगा तो हमें देना पड़ेगा।

लेकिन अगर सिद्धि ताई की शादी अभिजीत दादा से हुई तो जैसे सादे ढंग से हमारी शादी हुई थी, ठीक उनकी भी वैसे ढंग से हो जायेगी, दहेज़ भी नहीं देना पड़ेगा और रही जयदाद में हिस्सा माँगने की बात तो मेरे दादा को धन-दौलत और राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है।

सिद्धि ताई और अभिजीत दादा की शादी से हमें फायदा ही फायदा है, कोई नुकसान नहीं। एक बात और कह देती हूँ दादा, सिद्धि ताई को बहुत खुश रखेगा।

अक्षय सान्वी की बात सुनकर इतना खुश हो जाता है कि वो उसे गोद में उठा लेता और कहता है…..राजनीति के मामले में मेरी बीवी का कोई जवाब नहीं, बहुत दूर की सोचती हो तुम।

लेकिन बाबा को कैसे मनायेंगे?

मना लेंगे आराम से, तुम चिंता मत करो, सब मुझ पर छोड़ दो। बस हमें यह जाहिर करना है कि हम अभिजीत दादा और सिद्धि ताई के साथ हैं और तुम्हारे बाबा को मनाने की पूरी-पूरी कोशिश कर रहे हैं। परसों शाम को दादा और सिद्धि ताई से बाहर मिलने का प्रोग्राम बनाते हैं।

कल क्यों नहीं सान्वी?

अरे बाबा, कल सिद्धि ताई, दादा से मिलकर अपने दिल का हाल सुनाएंगी न, होने दो थोड़ा भावुक उन्हें। दादा जब मुझे फोन करेगा तभी तो एक्शन लूँगी मैं।

सान्वी, तुम्हारे दिमाग को तो मान गया मैं।

सान्वी अक्षय के करीब जाकर कहती है….मैं नही चाहती यह रात यूँ ही खत्म हो जाए, लाइट्स ऑफ कर दो।

अक्षय मुस्कुराते हुए कहता है….जी हुजूर।

❤सोनिया जाधव


   25
12 Comments

Simran Bhagat

25-Sep-2022 08:58 AM

Nice

Reply

👌🏼 👌🏼 👌🏼

Reply

Pratikhya Priyadarshini

25-Sep-2022 12:22 AM

Bahut khoob 🙏🌺

Reply