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लेखनी कहानी -14-Sep-2022

*******नज्म*******
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आप ही हो ये दिल की दबा,
आप को ये खबर ही नही।

मुखड़ा हो तुम मेरे गीत का,
आपके बिन बहर ही नही।।

कैसे जी लू में बिन आप के,
खुशियों का ये शहर ही नही।

घुटता है जी मेरा भी यहाँ,
खुशबुओं का सजर ही नही।।

हम कहाँ आ गए है सुनो,
लौटने की  डगर  ही नही।

है गुज़ारिश मेरी आप से,
जिंदगी ये बसर ही नही।।

इस तरह हम जिये जा रहे,
जख्मों का अब असर ही नही।

कू-ब कू फिर रहा हूँ में भी,
तेरी मुझपर नजर ही नही।।

प्यार को तुम खरीदोंगे क्या,
आप की तो कदर ही नही।

जाना होगा मुझे अब जरा,
यां मेरी तो कदर ही नही।।

आये हो कब्र पर रोने तुम,
चुप रहो क्या सबर ही नही।

आखरी था सफर मौत का,
बाद इसके सफर ही नही।।

*रिहान पठान प्रेमी*

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9 Comments

Swati chourasia

15-Sep-2022 05:25 PM

बहुत खूब 👌

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Kavi rihan pathan premi

23-Sep-2022 03:48 PM

शुक्रिया आपका

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Abhinav ji

15-Sep-2022 08:07 AM

Very nice

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Kavi rihan pathan premi

15-Sep-2022 02:40 PM

Thankas

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Kavi rihan pathan premi

15-Sep-2022 02:40 PM

शुक्रिया

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Achha likha hai 💐

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