Archit Savarni

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नुमाइशे

         ❣नुमाइशे❣

बदलता वक्त ,
बदलती चाहते,
बहते नयन के नीर में,
बदलती हुई नुमाइशे!
हर आलम बेरुखी का था,
हर ओर मिलती हुई नई नई ख्वाहिशें!
कुछ गुजरता हुआ वक्त,
बदल रहा अनुभव के संग,
इन झूठे ठाट बाट में,,
अभिनय की यह नुमाइशे!
बेजान से इस सफर को हम जान तो ले जरा,
फिक्र के शागिर्द होकर,
खुल कर जी ले अब जरा!
मिट रही नुमाइशो में ,
जीवन का यह आशियां,
कभी तो  पूछ लूं जरा,,
ए जिंदगी तू किस ओर है!
आज महफिल सजी है कहीं, पर हर और बेजान से चेहरे हैं!
 ढूंढ लूं मैं उन्हीं में खुद को ,
पर हर और खुदा के सजदे हैं!
देख बदलते हुए तस्वीरों को,
खुद की बदलती हुई छवि लगती है,
पर यही दुनिया है यही का मुसाफिर हूं,
अब तलब है बस खुशी से जीने को!
नुमाइशे जरूरी है जीने में,
पर जिंदगी का हिसाब कुछ और है,
हर ओर एक दौड़ है,
ना ही जीत है ना ही हार है!!
                          -Archit Savarni ✍


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11 Comments

Achha likha hai 💐

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Archit Savarni

19-Sep-2022 01:17 AM

Thank you jii

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Pratikhya Priyadarshini

16-Sep-2022 09:38 PM

Achha likha hai 💐

Reply

Archit Savarni

19-Sep-2022 01:17 AM

Thanks ji

Reply

Palak chopra

15-Sep-2022 09:14 PM

Achha likha hai 💐

Reply

Archit Savarni

19-Sep-2022 01:17 AM

Thank you jii

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