Sahil writer

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परदेशी




कहने को तो सब है यह पर अपना कोई नही
सब रिश्ते है नाम के यह कब पंख पखेरू बन जाते है!!


सब नातो को तोड़कर दूर गगन में मिल जाते है!!
ये खबर भी न हो पाती है और परदेशी से बन जाते है!!


दे जाते है बस कुछ खट्टी मीठी सी यादे
इन आँखों मे न रुकने वाली बरसाते!!


ये तो ठहरे परदेशी फिर भी दिल मे बस जाते है!!
नजाने कितना सताते है फिर ही बहुत याद आते है!!

    Sahil writer............


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1 Comments

Mohayeeuddin Khan

10-Sep-2021 11:16 PM

Behad umda

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