Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -06-Sep-2022... रिश्तों की बदलतीं तस्वीर..(10)

उम्र के इस दौर में रमादेवी का ये कदम उठाना.... शायद कुछ लोगों के लिए गलत हो सकता हैं..। लेकिन उम्र कोई भी हो.... एक इंसान अगर इस तरह अपनों से दूर जाने का कोई फैसला करता हैं तो उसके पीछे कोई ना कोई कारण या मजबूरी जरूर होतीं हैं...। शायद यहाँ रमादेवी के भीतर भी सालों से एक तुफान दबा हुआ था... जिसे वक्त वक्त पर चिंगारी लगाई जा रहीं थीं...। अब वहीं चिंगारी आग का रुप ले चुकी थीं...। रमादेवी के लिए ये फैसला कितनी चुनौतियां लेकर आएगा... क्या नाटकीय मोड़ आएगा ये तो वक्त ही बताएगा..। फिलहाल वक्त था.... सलोनी का घर लौटने का...। 


घर लौटकर सलोनी ने दादी यानि रमादेवी से मिलने की बात कहीं जिसे सुनील ने यह कहकर रोक दिया की उनकी तबीयत ठीक नहीं हैं इसलिए सो गई हैं...। चूंकि घर पहुंचते रात हो चुकी थीं और सभी थक भी चुके थे इसलिए विनी उस रात सलोनी के साथ ही रुक गई थीं...। कुछ देर की बातचीत के बाद सलोनी और विनी अपने कमरे में चले गए...। 


वही सुनील और सुजाता भी अपने कमरे में आए...। कमरे में आते ही सुजाता ने सुनील से वो पत्र मांगा...। सुजाता ने उसे पढ़ना शुरू किया.... जो कुछ इस तरह था... 

प्यारे बेटे....
               मुझे नहीं पता तू कब और क्यूँ मुझसे इतनी शर्म महसूस करने लगा...। आखिर क्यूँ तू मुझे अपने साथ कहीं भी ले जाने में हिचक महसूस करने लगा...। तेरे पिता की मृत्यु के बाद मुझे सबसे ज्यादा तेरे सहारे की जरूरत थीं... पर उसी दरमियाँ तू मुझसे ओर भी ज्यादा दूर होता जा रहा था...। मैं मानती हूँ तुने मुझे कभी कोई कमी नहीं दी.. वक्त पर खाना, पीना, कपड़े... सब मुहैया करवाये... लेकिन बेटा इसके अलावा जो मुझे सबसे ज्यादा चाहिए था.... वो था साथ...अपनापन... प्यार....। जिसके लिए तेरे पास समय ही नहीं था...। महिनों हो जाते थे तेरी शक्ल देखें हुवे..। जब तुम सब बाहर खाना खाते थे तो मैं दरवाजे पर कान लगाएं सुनती थीं... सिर्फ तेरी आवाज सुनने के लिए...। लेकिन उस रोज़ अगर मेरे कानो में तेरी ओर बहू की बातें नहीं गई होतीं तो शायद मैं आज भी वही उस कमरे में अकेली रह रहीं होतीं...। लेकिन उस रोज़ मैने सुना की तू मुझे सलोनी की सगाई के बाद वृद्ध आश्रम भेजने की सोच रहा हैं...और ये तू सालों से सोच रहा था... वो भी सिर्फ इसलिए की तू मुझे लोगों से.... मेहमानों से दूर रखना चाहता हैं..! यहाँ तक की तुने बाहर यह बात कहीं हुई हैं की मुझे कोई गंभीर छुत की बिमारी हैं... जिसकी वजह से मुझसे कभी कोई मिलने बात करने तक नहीं आता था...। बेटा मुझे नहीं पता आखिर तू ऐसा क्यूँ कर रहा था.... लेकिन अब मैं तेरे लिए ओर ज्यादा परेशानी बढ़ाना नहीं चाहतीं... इसलिए मैं हमेशा के लिए तुझसे दूर जा रहीं हूँ... कहाँ.... ये मुझे भी नहीं पता...।
                हां... एक पल को मेरे कदम सलोनी के लिए डगमगाए थे... लेकिन मैं जानती हूँ... तु उसे सच तो नहीं बताएगा... इसलिए बोल देना की मुझे कोई दूर का रिश्तेदार अपने साथ लेकर गया... हमेशा के लिए..। जाने से पहले मैंने मैने कुछ रुपये लिए हैं.... जानती हूँ मेरा उन रुपयों पर कोई हक़ तो नहीं हैं... इसलिए अगर जिंदगी ने कभी मौका दिया तो ब्याज समेट लौटा दूंगी... अगर ना लौटा पाई तो समझना मेरी मैयत पर खर्च हो गए.....। सलोनी को ढेर सारा प्यार देना..और बहू का भी ख्याल रखना... मुझे उससे भी कोई शिकायत नहीं हैं... जब मेरा सिक्का ही खोटा था तो भला उससे कैसी नाराजगी...। बस एक बात का अफसोस रहेगा की आखिर ऐसी क्या वजह थीं जिसके कारण तु मुझसे इतना दूर हो गया...!! 
खैर अब सोचने से कोई फायदा नही... जब तक तुझे ये खत मिलेगा मैं बहुत दूर निकल चुकी होंगी..... । 
दुआ करुंगी सब खुश रहो....। 


क्या सलोनी को कभी सच पता चलेगा..! 
कैसा होगा रमादेवी का नया सफर..! 
क्या होगा सुनील का फैसला... क्या वो रमादेवी को खोजेगा...!! 

जानते हैं अगले भाग में...। 

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10 Comments

Mithi . S

18-Sep-2022 04:51 PM

Very nice

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Chirag chirag

17-Sep-2022 06:14 PM

Beautiful ❤️

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Pallavi

17-Sep-2022 05:05 PM

Awaiting...

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