होली
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हम तो भइया होली मा आपन मुखड़ा सजवाय लीन्ह।
लाल,हरा, नीला,पीला सब चेहरे मां पुतवाय लीन्ह।।
अब चिन्ता नहीं है कोहू की चाहे कउनव वो रंग डारै।
एक बात की फिकर हवै बस कपड़ा नाहीं कोऊ फारै।।
घर ते जब बाहर निकरेन सब दौरि कै हमका पकरेन हैं।
लाल,हरा ,नीला, पीला खोपड़ी से रंग खुब डारेन हैं।।
हम कहा अरे यो करत हव का हमरे तौ सारे रंग लगे।
ऊपर से लइकै नीचे तक हम सारे रंगन मा हवन पगे।।
फिरहू उई सब ना माने मुखड़ा मां कारिख पोति दिहिन।
चेहरे मां लगा सफेदा से खुब लम्बी मूंछ बनाय दिहिन।।
फिर गदहा मा बैठारि हमैं ढोल और तांशा बजा रहे।
इधर-उधर सब गलियन मा हमका खूब घुमाई रहे।।
लोटवा भर ठंडाई लाए खुब भांग मिला कै पिला दिहिन।
जब भांग चढ़ी हमरे सिर मा घर मा सब पठवाय दिहिन।।
सीताराम साहू 'निर्मल'
11-Mar-2023 05:42 PM
बहुत खूब
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अदिति झा
11-Mar-2023 04:52 PM
Nice 👌
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