लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ
३०-पिताजी को हुई मां की चिंता -
को फोन किया। फोन करके उसने कहा लीजिए पिताजी मां से बात कीजिए। और वह मां को फोन पकड़ा कर श्रेया की बेटी को गोद में लेकर खिलाने लगी। मां पिताजी से बात कर रही थी। मां ने पिताजी से पूछा- आप कैसे हैं, पिताजी ने कहा मैं तो ठीक हूं, तुम कैसी हो। तुम इतने दिन से अस्पताल में हो थक गई होगी। तुम अपने शरीर का ध्यान रखती हो या नहीं। पिताजी को बहुत चिंता हो रही थी मां की, मां को भी पिताजी की चिंता थी। पर मजबूरी ऐसी थी कि अस्पताल में रुकना पड़ रहा था, मां ने कहा- अब बहुत जल्द हम लोग घर आ जाएंगे। इससे श्रेया बहू अब ठीक है, और धीरे-धीरे और ठीक हो रही है। हो सकता है कि एक-दो दिन में हम लोग घर वापस आ जाए। पिताजी ने कहा- ठीक है घर आ जाओगी, तब तो फिर कोई चिंता नहीं है। लेकिन जब तक अस्पताल में हो अपना ध्यान रखना। पिताजी ने कहा बहुत दिन हो गए तुमसे मिले तुम्हारी बहुत याद आती है।मां ने भी कहा- कि मुझे भी आपकी बहुत याद आती है, कहते-कहते मां रूंवासी हो गई और आंखों में आंसू आ गए ।लेकिन बच्चों के सामने अपना दुख प्रदर्शित करना अच्छा नहीं लगता था, क्योंकि हम उनके बड़े हैं। और बच्चों का दुख हमसे देखा नहीं जाता इसलिए हम सब को बच्चों के साथ रहना है, लेकिन उन्होंने पिताजी से कहा कि आप चिंता मत कीजिए। अब एक-दो दिन में हम जल्दी ही घर आने वाले हैं। पिताजी ने कहा ठीक है अपना ध्यान रखना। मैंने भी पिताजी से उनको अपना ध्यान रखने को कहा- और रक्षा को फोन दे दिया। रक्षा ने फोन कट कर दिया और वह अपनी भतीजी को खिलाते हुए भाभी से मिलने के लिए चली गई। मां बहुत देर पिताजी की याद करके उदास बैठी रही। उधर रक्षा श्रेया के पास पहुंची, तो रक्षा को देखकर खुश हो गई और उसे हालचाल पूछा था। रक्षा ने श्रेया से उसका हालचाल पूछा, पूछा भाभी आप कैसी हो।अब आपको कैसा फील हो रहा है। श्रेया ने कहा- हां रक्षा अब मैं ठीक हूं थोड़ी कमजोरी है,और धीरे-धीरे रिकवरी हो रही है।हो सकता है, हम लोग एक-दो दिन में घर आ जाए। यह बात सुनकर रक्षा बहुत खुश हुई फिर बहुत देर तक भाभी के पास बैठ कर बातें कर रही थी, और परी को खिला रही थी। बहुत खुशी से एक दूसरे को चिड़ा रही थी। रक्षा श्रेया को मम्मी जी...... मम्मी जी ..........कहकर और श्रेया रक्षा को बुआ जी....... बुआ जी....... कहकर एक दूसरे से हंसी मजाक कर रहे थे। इतने में श्रवन आया, तो श्रवन को देखकर रक्षा बोली- हेलो..... पापा जी आ गए।श्रवन ने पूछा- क्या....। असल में श्रवन नहीं समझ पाया था कि रक्षा उसे मजाक में पापा जी बोल रही है, और पूछने लगा क्या हुआ। तब श्रेया ने बताया,कि रक्षा आपको मजाक में नन्ही गुड़िया की तरफ से पापा जी बोल रही है। तब श्रवन को समझ में आया, और वह हंसने लगा।उसे यह शब्द सुनकर बड़ा आनंद महसूस हुआ, क्योंकि वह तो पापा जी शब्द सुनने के लिए तरस रहा है।
रक्षा श्रेया और श्रवन बातें करते करते यह भूल ही गए थे। कि वह अस्पताल में हैं, और काफी देर हो चुकी थी। तब श्रवन ने रक्षा से कहा- कि अरे घर नहीं जाना है,पिताजी अकेले होंगे। रक्षा बोली- अरे हां, भैया मुझे घर भी जाना है, और हम लोग तो भूल ही गए बातें करते ही रह गये, और इतनी देर हो गई। रक्षा तुरंत उठी।और श्रेया को बाय करते हुए कमरे के बाहर आई। बाहर आकर मां से मिली और मां से घर जाने की आज्ञा लेकर अस्पताल से निकलने लगी। तब मां ने रक्षा से कहा- कि जाओ घर में पिताजी का ध्यान रखना पिताजी अकेले पड़ गए हैं।
रक्षा ने मां को आश्वासन दिया।कि हां मां! मैं पिताजी का अच्छे से ध्यान रख रही हूं। आप चिंता मत कीजिए आप इधर भाभी का ध्यान रखिए, और जल्दी से भाभी को लेकर आइए कहकर- रक्षा घर के लिए निकल गई। रक्षा ने पिताजी को अस्पताल के हाल चाल के बारे में बताया और कहा- कि भाभी अब बहुत जल्दी घर आने वाली हैं। अब सब कुछ ठीक हो जाएगा। पिताजी ये समाचार सुनकर बहुत खुश हुए रक्षा ने पिताजी से पूछा-आपने चाय पी ली ? पिताजी बोले नहीं तो... रक्षा पिताजी के लिए चाय बनाने किचन में चली गई, और जल्दी से दो कप चाय बना कर ले आई उसने पिताजी को चाय दी और साथ बैठकर दोनों ने चाय पी। उसके बाद रक्षा ने खाना बनाने की तैयारी की, और अपने और पिताजी के लिए खाना बनाया। दोनों ने साथ बैठकर खाना खाया। खाना खाकर दोनों अपने-अपने बिस्तर पर सोने चले गए। बहुत दिनों बाद आज पिताजी सुकून की सांस ले रहे थे। क्योंकि आज रक्षा और श्रवन की मां से उनकी बात हो गई थी। और दूसरे बहू के घर आने की खुशखबरी सुनकर उनको हार्दिक सुकून का अनुभव हो रहा था। और खुशी भी हो रही थी, कि वह बहुत जल्द अपनी बहू और पोती को देखेंगे और अपनी पत्नी से मिलेंगे।अपने बच्चों को देखेंगे, यह बात को सोचकर ही वह बहुत खुश हो रहे थे।
अब वह बहू और पोती के स्वागत की तैयारी के बारे में सोचने लगे। हम उनका स्वागत कैसे करेंगे, यही सोच रहे थे। सोचते सोचते उनको नींद आ गई और वह सो गये। सुबह जब आंख खुली, तो सूर्य नव अरूणोदय के साथ सुंदर प्रतीत हो रहा था। आज की सुबह महकती हुई सी खुशनुमा महसूस हो रही थी। ऐसा इसलिए हो रहा था कि कल इतने अच्छे समाचार सुनकर सोए थे...... इसलिए सुबह सुहानी लग रही थी, चिड़ियों के चहचहाने का कलरव मधुर संगीत सा प्रतीत हो रहा था। चारों तरफ खुशियां ही खुशियां नजर आ रही थी। यही चीजें दुख या संकट के समय बुरा अनुभव देती हैं,लेकिन खुशी का समाचार मिलने के बाद यह सारी चीजें सुख का अनुभव देने लगती हैं। अब तो उन्हें बस अपनी बहू और पोती का इंतजार था। कितनी जल्दी वह सब लोग आते और घर का वातावरण खुशनुमा हो जाए। रक्षा के पिताजी यह सोच ही रहे थे।कि इतने में फोन की घंटी बजी........
shweta soni
20-Sep-2022 12:50 AM
Very nice
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Priyanka Rani
19-Sep-2022 09:03 PM
Nice post
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Barsha🖤👑
19-Sep-2022 06:17 PM
Beautiful story
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