लेखनी कहानी -17-Sep-2022 सतरंगी आसमान

सतरंगी आसमान

यह करीब 20 साल पहले की बात है। परिवार में लड़कियों को लड़कों जैसी परवरिश नहीं मिलती थी,और ना ही उन्हें पढ़ाया लिखाया जाता था। श्वेता ऐसे ही एक परिवार में जन्मी और धीरे-धीरे बड़ी होने लगी। उसका भी मन पढ़ने के लिए करता, परंतु उसके माता-पिता उसकी  पढ़ायी के खिलाफ रहते। 

जब वह अपने माता-पिता से पढ़ने के लिए कहती,तो माता-पिता कहते, कि तुम लड़की हो,क्या करोगी पढ़के, तुम्हें तो चूल्हा चौका ही करना है। परंतु श्वेता  जो अपने मन ही मन पढ़ने के लिए तत्पर रहती, और उसका एक बड़ा भाई था।जब भी मौका लगता भाई की पुस्तक लेकर अपने आप ही पढ़ने की कोशिश करती। 

भाई को पढ़ते देखती तो कभी-कभी उससे पूछती, भाई कभी-कभी थोड़ा बता देता था। उसी से ही वो पढ़ने लिखने लगी। माता पिता ने उसे रोज ही अपने भाई की पुस्तक पढ़ते हुए देखा करते, तो उनका कुछ दिल पसीज गया। और उन्होंने बेटी का एडमिशन स्कूल में करा दिया।

स्कूल में एडमिशन होने के बाद तो श्वेता दिन दूनी रात तरक्की करने लगी। और उसकी नन्ही आंखों में सतरंगी सपने सजने शुरू हो गये। उसका मन पढ़ाई में बहुत अधिक लगता था। बहुत जल्दी उसने अपनी पढ़ाई को कवर किया उसने अच्छे नंबरों से परीक्षाएं पास करना शुरू कर दिया। 

अब माता-पिता जब भी स्कूल जाते, श्वेता के  शिक्षक गण श्वेता की बहुत तारीफ करते, और कहते कि आपकी बेटी  पढ़ने में बहुत होशियार है, कुशाग्र बुद्धि है इसको पढ़ाइएगा। इसकी पढ़ाई बंद मत कीजिएगा। यह आपका नाम रोशन करेगी। श्वेता का भाई पढ़ने में कमजोर था, उसके कभी भी अच्छे नंबर नहीं आते थे।

 अब श्वेता के अच्छे नंबर देखकर श्वेता का भाई हीन भावना से ग्रसित होने लगा , और उसे लगा कि मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा। हीन भावना से ग्रसित होते होते, वह श्वेता से नफरत करने लगा। धीरे-धीरे दोनों बड़े हो रहे थे श्वेता का भाई जैसे तैसे पढ़ाई कर बिजनेस करने लगा था।अब उसकी उम्र शादी लायक हो चुकी थी।

श्वेता के माता-पिता ने एक अच्छी लड़की देख कर अपने बेटे की शादी भी कर दी, और बेटा अपने परिवार में मगन हो गया ।श्वेता की भाभी देखने काफी सुंदर थी, पर स्वभाव से बहुत ही चंट थी। उसे श्वेता फूटी आंख न सुहाती जब भी आमना सामना होता तो किसी के चेहरे पर मुस्कान नहीं आती थी। श्वेता भाभी के आने के बाद बहुत परेशान रहने लगी थी।

श्वेता जैसे तैसे अपना जीवन यापन कर रही थी, परंतु अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दें रही थी। श्वेता कुछ कर दिखाना चाहती थी, और मां बाप का नाम रोशन कर उनकी सेवा करना चाहती थी। परंतु भगवान को कुछ और ही मंजूर था। एक दिन अचानक श्वेता के माता-पिता की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई।

 श्वेता पर तो जैसे दुख का पहाड़ ही टूट पड़ा था, वह अनाथ हो चुकी थी। माता पिता की मृत्यु के बाद भाभी भाई का राज हो गया था, और भाभी ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया। रोज ही घर में हाय तौबा होने लगी थी। भाभी श्वेता को चैन नहीं लगने देती थी। इतनी सब मुसीबतों के बाद से अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान लगाती थी।
 
 अब वह नौकरी के लिए भी प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगी थी। माता पिता के मरने के बाद श्वेता का करीब एक साल बहुत कष्ट में बीता था।इधर भाभी की हाय हाय,
उधर पढ़ाई का बोझ,खाने पीने की किल्लत, सब सहते सहते श्वेता बहुत मजबूत बनती जा रही थी। उसकी एक प्रतियोगिता का परिणाम आने वाला था।

 एक दिन अचानक श्वेता की आंखों के सामने सतरंगी आसमान छाने लगा था। उसको दुनिया  रंग बिरंगी सी लगने लगी थी। जो  आसमान कभी उसे सुहाता नहीं था, आज वह आसमान उसे सतरंगी लग रहा था । आखिर क्या वजह थी ? इस बात की। तो सुनिए।
 
श्वेता प्रतियोगिताएं देती रहती थी। एक दिन श्वेता का इंतजार खत्म हो गया। डाकिए ने आकर .....आवाज लगाई श्वेता. बिटिया.... श्वेता बिटिया....... श्वेता दौड़ करा आई। क्या बात है चाचा ? डाकिया चाचा ने श्वेता को एक लिफाफा दिया।  लिफाफा खोलते ही श्वेता ने डाकिया चाचा अपनी नौकरी लगने की खबर बता धन्यवाद दिया।

नौकरी का खबर से श्वेता के जैसे पंख लग गए हो, वह सतरंगी आसमान में उड़ रही थी। उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा था। उसके चेहरे का नूर ही बदल गया था। उसकी भाभी ने जब यह सुना, तो वह जलकर खाक हो गई जबकि अभी किसी को यह नहीं पता था कि श्वेता की इस खुशी का क्या कारण है।-

इतने में श्वेता के भाई ने आकर श्वेता से पूछा आखिर क्या बात है जो तुम इतनी खुश हो, इतना उड़ रही हो, तुम्हारे पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे हैं। भाई को देखते ही..... श्वेता उससे लिपट गई, और श्वेता की आंखों से आंसू बहने लगे.... श्वेता के आंसू देख कर भाई ने पूछा....अभी तो तुम बहुत खुश थी, अब तुम रो रही हो... ‌ क्या बात है???  श्वेता बोली.... भैया आज माता-पिता की बहुत याद आ रही है.

 आज वह होते तो मेरी इस खुशी में चार चांद लग जाते, यह सतरंगी आसमान देखने के लिए हम सब साथ होते, तो मुझे बहुत खुशी होती। श्वेता के भाई ने पूछा.... कैसी खुशी इस, किस बात की खुशी, कुछ तो बता...... श्वेता बोली भैया मेरी जॉब शहर में एक अच्छे ऑफिस में लग गई है। मेरी सैलरी ₹50000/ होगी..यह सुनकर अब उसके मन में विचार आया । 
 
कि एकता काम आएगी ,तो उसने बहन को प्यार जताया।
और अपनी पत्नी को समझाया कि श्वेता मेरी बहन है इसका पूरा ध्यान रखा करो। और दोनों ने मिलीभगत करके श्वेता से अच्छा व्यवहार करना शुरू कर दिया। परंतु श्वेता तो उनके व्यवहार को भलीभांति जानती थी। इसलिए श्वेता पर उसकी उनह बातों का कोई फर्क नहीं पड़ा ।श्वेता को दो दिन बाद ही अपनी नौकरी ज्वाइन करने जाना था।

 श्वेता ने फटाफट तैयारी की, और अपने पास पड़ोस में सबको बता कर वह जॉब ज्वाइन करने के लिए निकल पड़ी। जिस दिन वह घर से निकली थी, उस दिन यह सोचकर निकली थी, कि इस घर में अब मैं वापस नहीं आऊंगी। श्वेता के नहीं पता था कि श्वेता के मन को कितनी ठेस लग चुकी थी, और अब वह अपने सतरंगी आसमान को छोड़ कर हां क्यों वापस आएगी।

श्वेता ने शहर पहुंचकर अपनी नौकरी ज्वाइन की पर एक मकान किराए पर देकर रहने लगी कुछ ही दिन काम करते हुआ था श्वेता का व्यवहार इतना अच्छा था कि सभी लोग श्वेता को बहुत मानते हैं और 1 दिन श्वेता के एक सीनियर ने श्वेता की तरफ शादी का प्रस्ताव रखा ।अचानक शादी का प्रस्ताव देख श्वेता समझ नहीं पाई उसे क्या करना चाहिए। श्वेता ने बड़ी ही शालीनता से कहा .....कि सर मुझे थोड़ा टाइम दीजिए ऐसे निर्णय इतनी हड़बड़ी में नहीं लिए जाते हैं। मैं  सब सोच समझ कर आपको जवाब दूगी।

अगले ही दिन श्वेता जब ऑफिस पहुंची तो उसने अपने कुलीग राकेश को शाम को डिनर का आमंत्रण दिया। और वहीं होटल में बैठकर राकेश और श्वेता दोनों ने शादी का निर्णय कर लिया। कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कुछ दिन बाद दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली। पहले नौकरी और फिर शादी श्वेता को तो धरती और आसमान दोनों ही सतरंगी नजर आ रहे थे।

और श्वेता के गमों के बादल छंट गये, और उसे मिल गया एक सतरंगी आसमान।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी' 
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।

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11 Comments

Achha likha hai 💐

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shweta soni

20-Sep-2022 12:49 AM

Very nice 👍

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Priyanka Rani

19-Sep-2022 09:01 PM

Beautiful

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