Kavita Gautam

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सृष्टि

"सृष्टि"

अंजाना था संसार
किया था प्रारंभ जब
प्रभु ने सृष्टि का सुविचार

एक करके दो प्राणों को
बनाया सृष्टि का आधार
प्रारंभ हुई सृष्टि
करके संबंधों का संचार

साथ लेकर के कई भाव
बढ़ा था जीवन अपने साथ
उम्मीद, प्रेम, त्याग, विश्वास
जन्म से मृत्यु तक का सार

गर हो जाए सार विपरीत
बदल जाए जीवन आधार
सुप्त पड़ जाए चेष्टा जब
खो जाए जीवन का सार

तो जीवन से भरी दुनियां
तब हो जाए निष्प्राण
श्वास चलती ही रहती है
जीवन मृत्यु के है समान।।

कविता गौतम...✍️

#हिंदी दिवस प्रतियोगिता 

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9 Comments

Kavita Gautam

21-Sep-2022 01:32 PM

सुंदर समीक्षाओं हेतु आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏

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Swati chourasia

20-Sep-2022 07:33 PM

बहुत ही सुंदर रचना 👌

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Achha likha hai 💐

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