Sunita gupta

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धान्य धरती

न मै धान्य धरती न धन चाहती हूँ।
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न मै धान्य धरती न धन चाहती हूँ ।
कृपालु कृपा की किरण चाहती हूँ । 

रहे  नाम  तेरा  वो  चाहू  मै रसना , 
तुम्हारे ही चरणों में चाहूंगी बसना, 
विनयशील वाणी से रसना को कसना , 
सुने यश तेरा वो श्रवण चाहती हूँ ।
कृपालु कृपा की किरण चाहती हूँ । 

दया भाव ऑंखोंमे आये निरन्तर, 
करें दिव्य दर्शन जो तेरा निरन्तर, 
जिन ऑंखों में रहना हो तुमको निरन्तर, 
वही भाग्यशाली नयन चाहती हूँ ।
कृपालु कृपा की किरण चाहती हूँ । 

हे बस लालसा पूजा करलू तुम्हारी, 
दुखियो  की  सेवा  करे हाथ न्यारी, 
जिन हाथों को करना हो सेवा तुम्हारी,
वही सेवा लायक मै कर चाहती हूँ ।
कृपालु कृपा की किरण चाहती हूँ । 

सुन्दर विचारों में जीवन हो पूरा ,
विमल ज्ञान धारासे मस्तक पूरा,
तुम्हारे विना मेरा जीवन अधूरा, 
व श्रृद्धा से भरपूर मिलन चाहती हूँ।
कृपालु  कृपा की किरण चाहती हूँ। 

सियाराम मय दृष्टि होवे हमारी, 
मेंरे मन के मंदिर मे आओ मुरारी, 
मुझे अपने चरणों का बनालो पुजारी, 
 सुनीतादिन पूजना चाहती हूँ।
कृपालु कृपा की किरण चाहती हूँ।
सुनीता गुप्ता 

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3 Comments

Gunjan Kamal

20-Sep-2022 02:48 PM

बहुत ही सुन्दर

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Achha likha hai 💐

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Reena yadav

19-Sep-2022 05:53 AM

👍👍

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