जिंदगी
आज की प्रतियोगिता ,सोमवार ,दिनांक, 19,09,२०२२
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स्वैच्छिक कविता
*************ज़िन्दगी ने जिसे अपना समझा, उसने ही दे दिया है किनारा
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ज़िन्दगी ने जिसे अपना समझा, उसने ही दे दिया है किनारा।
जिसको समझे थे हम जिन्दगानी उसने ही कर दिया वेसहारा।
उसने तोड़ा कई बार मुझको, ज़िन्दगी को नरक सा बनाया,
गिरते उठते समभले थे चलते , ऐसे ही हमने जीवन गुजारा।
अपनी तो ज़िन्दगानी समर्पित, उसके ही नाम से जी रहे है,
उसकी मर्जी ही अब मेरी मर्जी,मेरे ख्वाबों को उसने बिसारा।
मेरा कुछ भी गुनाह न बताते ,सामने सबके रिस्ता निभाते,
दिल की बाते किसे अब सुनाए,एक ईश्वर है अपना सहारा।
वेदना जब हृदय को सताती ,ऐसे में याद ईश्वर की आती,
गीत गाती"सुनीता"हृदय से,मिल गया दिलको उसका नजारा।
सुनीता गुप्ता कानपुर
Shashank मणि Yadava 'सनम'
20-Sep-2022 06:46 AM
बहुत ही सुंदर सृजन,,,, बेसहारा,,,, सम्हलते,,,, जी रहे हैं,,,, बातें,,, आदि ठीक करें जी
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Reena yadav
19-Sep-2022 05:54 PM
👍👍
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Gunjan Kamal
19-Sep-2022 12:00 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌
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